meerut verdict in triple murder case : मेरठ में 16 साल पहले एक युवती के प्रेम में 3 नौजवानों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस ट्रिपल मर्डर की गूंज पूरे उत्तरप्रदेश में सुनाई दी, जिसने भी इस जघन्य हत्याकांड को सुना वह हैरान रह गया। इस ट्रिपल मर्डर केस में 33 गवाहों की गवाही के बाद 16 साल बाद सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 10 आरोपियों पर दोषसिद्ध करते हुए आजीवन कारावास और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
मेरठ अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटीकरप्शन सेकंड पवन शुक्ला द्वारा सन् 2008 में तीन नौजवानों का बेहरमी से मर्डर करने वाले मीट कारोबारी इजलाल कुरैशी उसकी गर्लफ्रेंड्/ प्रेमिका शीबा सिरोही समेत हत्या में शामिल 10 लोगों को सजा सुनाई गई है। इजलाल ने अपने भाई और साथियों के साथ मिलकर मेरठ कोतवाली गुदड़ी क्षेत्र स्थित घर पर पार्टी के बहाने शीबा सिरोही के कहने पर मेरठ कालेज के तीन छात्रों को बुलाया और मौत की नींद सुला दिया।
गौरतलब है कि 23 मई 2008 को मेरठ कॉलेज के 27 वर्षीय छात्र सुनील ढाका, 22 वर्षीय पुनीत गिरि और 23 साल के सुधीर उज्जवल को पहले गोलियां मारी गईं और उसके बाद तीनों का धारदार हथियार से गला रेता, इतने पर भी दिल नही पसीजा तो नुकीली वस्तु से आंखें बाहर निकाल दी। तीनों छात्रों के खून से लथपथ शवों को पानी से धोकर डिग्गी में ठूंसकर रखकर मेरठ बार्डर से सटे जिले बागपत में बालौनी नदी के किनारे पड़े फेंक दिया। नदी किनारे गुजरते हुए स्थानीय लोगों ने शवों को देखा तो उनकी रूह कांप गई, पुलिस को सूचना दी, पुलिस पड़ताल में मृतक मेरठ जनपद के पाए गए। बागपत पुलिस ने मेरठ पुलिस से संपर्क साधा। बागपत में दर्ज मुकदमे को मेरठ ट्रांसफर कर दिया गया। इसमें 16 साल के लंबे इंतजार के बाद आज कोर्ट ने ट्रिपल मर्डर केस के 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुना दी और 50 हजार का आर्थिक दंड भी लगाया है।
ट्रिपल मर्डर केस में पुलिस जांच-पड़ताल में सामने आया कि 22 मई 2008 की रात्रि में सुनील, पुनीत और सुधीर का का शीबा को लेकर इजलाल कुरैशी से झगड़ा हुआ था। शीबा ने इजलाल को उकसाया था, उसी झगड़े के परिणामस्वरूप मीट कारोबारी इजलाल कुरैशी अपने मूल रूप कसाई पर उतर आया और उसने अपने भाई व साथियों के साथ मिलकर वीभत्स हत्याकांड को अंजाम दे दिया।
पुलिस ने इस हत्याकांड में 14 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी, इजलाल की दोस्त शीबा सिरोही भी शामिल थी, इजलाल उससे बेपनाह मोहब्बत करता था। हालांकि कोर्ट ट्रायल के दौरान 14 आरोपियों में से 2 की मौत हो चुकी है, वारदात के समय एक नाबालिग था, जिस पर अभी उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है। इस केस में 33 लोगों की गवाही के बाद 10 आरोपियों को दोषसिद्ध करते हुए आज कोर्ट ने धारा 302 और 109 के तहत सभी ट्रिपल मर्डर आरोपियों को आजीवन कैद और 50 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट में सभी आरोपियों को कड़ी सुरक्षा मे.लाया गया और कचहरी परिसर छावनी में तब्दील कर दिया।
इजलाल की दोस्ती मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाली शीबा सिरोही से थी, शीबा का परिवार सेना से जुड़ा था, वह कैंट क्षेत्र मे अपनी-मां-बहन के साथ रहती थी। परिवार ने शीबा की शादी सेना के एक अधिकारी से कर दी लेकिन यह विवाह ज्यादा दिन टिक नहीं पाया और वह अपने घर वापस लौट आई। वही इजलाल की एक पार्टी के दौरान शीबा पर नजर पड़ी, वह उसका दीवाना हो गया। इजलाल बड़ा मीट कारोबारी होने के साथ रसूक भी रखता था, आए दिन अपने फार्म हाउस में पार्टी करता रहता, उसके ताऊ का बेटा हाजी शाहिद अखलाक उस समय लोकसभा सीट से मेरठ सांसद रहे हैं। शीबा जल्दी अमीर और लग्जीरियस जिंदगी जीने का सपना मन में लिए इजलाल के निकट आती चली गई।
शीबा भी मेरठ कालेज में पढ़ती थी, उसी कॉलेज मे पढ़ने वाला सुनील ढाका शीबा को बेदह चाहने लगा था। सुनील के दोस्त पुनीत गिरि और सुधीर उज्ज्वल भी शीबा से मिलना-जुलने लगे। शीबा पैसे की भूखी थी, वह सुनील, सुधीर और पुनीत को दोस्ती कै इजलाल से छुपाना चाहती थी, लेकिन इजलाल को इसकी भनक पड़ गई। उसने शीबा से विरोध जताया, शीबा ने झूठ बोलते हुए उकसाया कि चनसे उसका कोई नाता नह है, वह परेशान करते है। शीबा के उकसाने पर कि पर इजलाल ने रणनीति बनाते हुए एक पार्टी के बहाने इन तीनों को गुदड़ी बाजार में अपने घर बुलाया। जहां वीभत्स रूप से इन नौजवानों को मौत के घाट उतार दिया गया।
एक युवती के मोहपाश में तीन घरों के चिराग मिटा दिए गए। मेरठ बॉर्डर से सटे बागपत में तीन शवों की पहचान मेरठ निवासी के रूप में हुई थी, जिसके बाद बागपत पुलिस ने मेरठ पुलिस को यह केस दे दिया, पूछताछ के दौरे मुख्य आरोपी इजलाल ने हैरान करने वाले कई राज उजागर किए हैं।