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महबूबा को याद आए अटलबिहारी वाजपेयी

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सुरेश डुग्गर

, सोमवार, 7 नवंबर 2016 (20:09 IST)
जम्मू। जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में स्कूलों को आग के हवाले किया जा रहा है उस पर जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने कहा कि जो भी इसके लिए जिम्मेदार है उसे बख्शा नहीं जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बात को दोहराते हुए मुफ्ती ने कहा कि आप आपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। हमें इस नीति पर आगे बढ़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि घाटी में आतंकवादी सक्रिय हैं और सरकार उनसे निपट रही है। सुश्री मुफ्ती ने सिविल सचिवालय में दरबार मूव कार्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद संवाददाताओं से कहा कि घाटी में करीब 100 से 200 के बीच आंतकवादी और विदेशी तत्व सक्रिय हैं, लेकिन हमारे सुरक्षा बल और सेना उनसे पूरी क्षमता के साथ निपट रहे हैं।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ वर्षों पहले यहां आतंकवादियों की संख्या बहुत अधिक थी लेकिन अब वे कम हो गए हैं और सुरक्षा बल उनसे निपट रहे हैं।  उन्होंने घाटी में हिंसा की घटनाएं बढने और स्कूलों में आगजनी की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि घाटी में अशांति के दौर में स्कूलों में आगजनी होना सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार ने समय पर कार्रवाई करते हुए इन घटनाओं के पीछे जिन आपराधिक तत्वों का हाथ था उनको गिरफ्तार कर लिया है। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से घाटी के हालात में सुधार हुआ है और वहां की स्थिति सामान्य हो रही है। सीमा पर हो रही गोलाबारी पर उन्होंने कहा कि राज्य आंतरिक और बाह्य रूप से कठिन दौर से गुजर रहा है। एक ओर राज्य में जहां अशांति है वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सीमा पर लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा है।
 
उन्होंने सीमा पर शांति स्थापित हो इसके लिए वह ईश्वर से प्रार्थना कर रही हैं, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को समझना होगा और अहसास करना होगा कि दोनों देशों की अच्छाई शांति में है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों की वकालत करते हुए कहा कि किसी भी संकट से निपटने के लिए यही एक मात्र उपाय है। कारगिल युद्ध के बावजूद भी भारत और पाकिस्तान बातचीत के लिए सहमत हुए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों की मजबूती के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाजपेयी के सिद्धांतों का अनुसरण किया लेकिन पाकिस्तान की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

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