आमतौर पर माना जाता है कि बीमारियों से बचाने के लिए जीवनरक्षक टीके केवल बच्चों के लिए ही जरूरी हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भवती माताओं के लिए भी कुछ टीके लगना आवश्यक है ताकि मां और गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य की समुचित देखभाल हो सके और दोनों को संभावित जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।
मध्यप्रदेश में यूनीसेफ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. वंदना भाटिया के अनुसार गर्भवती महिलाओं को टिटनस टॉक्साइड का टीका लगाया जाना बहुत आवश्यक है। आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश के बहुत से हिस्सों में आज भी माताएं अस्वच्छ परिस्थितियों में बच्चों को जन्म देती हैं। ये परिस्थितियां मां और बच्चे दोनों के लिए टिटनस जैसे घातक रोग लगने का कारण बन सकती हैं। यदि गर्भवती महिला को टिटनस का टीका नहीं लगा है तो टिटनस का बैक्टीरिया या विषाणु उसके शरीर में प्रवेश कर उसके जीवन को खतरे में डाल सकता है। टिटनस टॉक्साइड के इंजेक्शन से गर्भवती महिला और उसके होने वाले शिशु को टिटनस जैसी घातक बीमारी से बचाया जा सकता है।
2010-11 के वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 68.5 था। यानी 31 प्रतिशत से अधिक प्रसव प्रदेश में ऐसे हैं जिनमें गर्भवती माताओं पर संक्रमण का खतरा रहता है। यह स्थिति शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा चिंताजनक है।
वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2012-13 के अनुसार मध्यप्रदेश में प्रति एक लाख जीवित शिशु जन्म पर मातृ मृत्यु दर 227 है जो बहुत अधिक है। हालांकि मातृ स्वास्थ्य संरक्षण को लेकर चलाई जा रही योजनाओं के चलते प्रदेश में पिछले कुछ सालों में मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षणों के अनुसार 2010-11 में जहां प्रदेश में मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख पर 310 थी वहीं 2011-12 में यह 33 अंक गिरकर 277 रह गई थी। इस आंकड़े में लगातार कमी आ रही है लेकिन फिर भी प्रदेश में मातृ सुरक्षा की ओर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार माताओं को गर्भावस्था की शुरुआत में ही टीटी यानी टिटनस टॉक्साइड का पहला टीका लगवा दिया जाना चाहिए। टीटी का दूसरा टीका पहला टीका लगने के चार सप्ताह बाद लगना चाहिए। यदि पिछले तीन वर्षों के भीतर टीटी के दो टीके लग चुके हों तो गर्भावस्था में टीटी बूस्टर टीका लगवाना जरूरी है। गर्भावस्था के 36 सप्ताह के भीतर टीटी 2 या बूस्टर टीका लगना जरूरी है। यदि 36 सप्ताह बीत चुके हों तो भी गर्भवती माताओं को टीटी-2 या बूस्टर टीका लगना चाहिए। यदि किसी कारणवश 36 सप्ताह के भीतर टीटी 2 या बूस्टर न लगा हो तो भी चिंता की जरूरत नहीं है। यह काम 36 सप्ताह के बाद भी किया जा सकता है। यदि महिला को टिटनस का टीका नहीं लगा है तो, उसे प्रसव के दौरान भी यह टीका लगाया जा सकता है।
दरअसल टिटनस या धनुषबाय एक जानलेवा बैक्टीरियल बीमारी है जो क्लोसट्रिडियम टेटेनी नामक बैक्टीरिया के जहर के कारण होती है। टिटनस का बैक्टीरिया खुले घावों के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। टिटनस की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। समय पर इसकी ओर ध्यान न दिए जाने से यह जानलेवा साबित होती है।