कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में बहुमंजिला इमारत गिरने की मामले को क्या कहें। इसे भ्रष्टाचार कहें या सत्ता की हनक। कुछ भी हो केडीए की नींद तब खुली जब सपा नेता की निर्माणाधीन बिल्डिंग में कई मजदूर हमेशा के लिए सो गए।
भीषण हादसे के बाद केडीए ने आनन-फानन में देर रात विभागीय कार्यवाही करते हुए पांच लोगों को निलंबित किया। तो वहीं निर्माणाधीन बिल्डिंग के मालिक व ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। चकेरी थाना क्षेत्र में सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष महताब आलम की निर्माणाधीन बिल्डिंग गिरने से कई मजदूरों की मौत के बाद केडीए ने अपना चाबुक चला दिया। चकेरी इंस्पेक्टर ने बताया कि कानपुर विकास प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी डीडी वर्मा की ओर से आलम व ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
सवाल तो उठता है : अब सावल यह है की केडीए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह दावा कर रहा है कि यह बिल्डिंग अवैध बन रही थी और बिल्डिंग को सील किया जा चुका है, लेकिन कुछ सवाल है जिनका जबाब जनता मांग रही है।
पहला सवाल तो यही उठ रहा है कि केडीए के आदेश पर सपा नेता कैसे भारी पड़ रहे थे? दूसरा यह कि केडीए के अफसर होते हुए भी बिल्डिंग कैसे बनती रही और केडीए इस बात की जानकारी भी नही हुई और अगर जानकारी थी तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई? ऐसे में भले ही केडीए कुछ भी दावा कर कर रहा हो पर यह तो तय है कि इस पूरे मामले में कहीं न कहीं कानपुर विकास प्राधिकरण भी लिप्त है।
हो गई कार्रवाई : केडीए के विशेष कार्याधिकारी डीडी वर्मा ने बताया कानपुर विकास प्राधिकरण के पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ एक जेई व एक्स ईएन के निलंबन के लिए शासन को लिखा गया है।
उन्होंने बताया की महज 20 फुट की गली में 500 गज के प्लॉट पर बन रही बिल्डिंग के निचले फ्लोर पर दुकानें और ऊपर फ्लैट बनाए जा रहे थे। इस बिल्डिंग में दो मंजिल तक बनवाने की अनुमति है, लेकिन निर्माण अवैध तरीके से छह मंजिल तक करवाया जा रहा था, जिसके चलते यहाँ घटना हुई है।