Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

चुनाव से पहले हत्याओं ने बिहार को दहलाया, आपराधिक घटनाओं ने कानून व्यवस्था संबंधी बढ़ाई चिंता

Advertiesment
हमें फॉलो करें gopal khemka

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

पटना , सोमवार, 14 जुलाई 2025 (15:44 IST)
Murders in Bihar due to elections: व्यापारियों, राजनेताओं, वकीलों, शिक्षकों और आम नागरिकों को निशाना बनाकर एक के बाद एक अंजाम दी जा रहीं हत्या की घटनाओं ने बिहार (Bihar) की कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। पुलिस ने इन घटनाओं के लिए अवैध हथियारों और गोला-बारूद की व्यापक उपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया है।
 
चुनाव से पहले हत्याओं ने बिहार को दहला दिया : पिछले 10 दिनों में व्यवसायी गोपाल खेमका, भाजपा नेता सुरेंद्र कुमार, 60 वर्षीय एक महिला, एक दुकानदार, एक वकील और एक शिक्षक सहित कई लोगों की हत्याओं ने चुनाव से पहले बिहार को दहला दिया है। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राज्य में जनवरी से जून के बीच हर महीने औसतन 229 हत्याओं के साथ 1,376 हत्या के मामले दर्ज किए गए जबकि 2024 में यह संख्या 2,786 और 2023 में 2,863 थी।ALSO READ: मुठभेड़ में मारा गया गोपाल खेमका मर्डर केस का आरोपी, शूटर को दी थी बंदूक
 
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार अवैध रूप से निर्मित या बिना वैध लाइसेंस के खरीदे गए आग्नेयास्त्रों के प्रसार और कारतूसों व गोला-बारूद की अनियंत्रित उपलब्धता ने हाल में हिंसक अपराधों में तेजी ला दी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार बिहार लगातार हिंसक अपराधों जिनमें आग्नेयास्त्रों से जुड़े अपराध भी शामिल हैं, के मामले में शीर्ष 5 राज्यों में शामिल रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार राज्य 2017, 2018, 2020 और 2022 में हिंसक अपराध दर में दूसरे स्थान पर रहा है।
 
हत्याओं के पीछे जमीन विवाद और संपत्ति के मामले मुख्य कारण : पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बातचीत में कहा कि ज्यादातर हत्याओं के पीछे जमीन विवाद और संपत्ति के मामले मुख्य कारण हैं। ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका सीमित होती है और यह अपराध होने के बाद शुरू होती है। अपराध का पता लगाने में हमारे बल ने 100 प्रतिशत की दर हासिल कर ली है।ALSO READ: गोपाल खेमका मर्डर केस : राहुल गांधी बोले, नीतीश और भाजपा ने बिहार को भारत की क्राइम कैपिटल बनाया
 
हालांकि डीजीपी ने दावा किया कि पिछले साल की तुलना में संगठित अपराध में कमी आई है। उन्होंने कहा कि बिना वैध लाइसेंस के अवैध रूप से निर्मित या खरीदे गए आग्नेयास्त्रों का प्रसार, गोला-बारूद की अनियंत्रित उपलब्धता, ऐसे मुद्दे हैं जिन पर अधिकारी गौर कर रहे हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने कहा कि इतनी बड़ी आबादी वाला राज्य जिसकी 60 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या 30 साल से कम उम्र की और बेरोजगार है, कानून-व्यवस्था की समस्याओं से ग्रस्त होना स्वाभाविक है।ALSO READ: पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या से हड़कंप, क्लब से लौटते ही हमलावरों ने मारी गोली
 
बिहार पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के एडीजी कृष्णन ने बताया कि हिंसक अपराधों पर लगाम लगाने के लिए मौजूदा व्यवस्था की खामियों को दूर करने और शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को मानकीकृत करने की जरूरत है। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय शस्त्र लाइसेंस डेटाबेस-शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रणाली (एनडीएएल-एएलआईएस) पोर्टल के अनुसार बिहार में 82,326 आग्नेयास्त्र धारक और 77,479 सक्रिय शस्त्र लाइसेंस हैं।
 
राज्य में 141 लाइसेंसधारी शस्त्र विक्रेताओं में से केवल 114 ही कार्यरत हैं जबकि 27 निष्क्रिय पाए गए हैं। कृष्णन ने कहा कि इससे दुरुपयोग का गंभीर खतरा पैदा होता है। हमने इस मामले को संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में ला दिया है। ऐसे विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित किए जाने चाहिए। जनसंख्या के अनुपात में जिलेवार आग्नेयास्त्र लाइसेंसों के विश्लेषण से पता चलता है कि भोजपुर में सबसे ज्यादा घनत्व है, जहां प्रति लाख जनसंख्या पर 205 आग्नेयास्त्र और 196 लाइसेंसधारी हैं, जो पटना से आगे है, जहां प्रति लाख जनसंख्या पर 161 आग्नेयास्त्र और 156 लाइसेंस हैं।
 
शस्त्र अधिनियम के मामलों और हिंसक अपराधों के बीच संबंध दर्शाता है कि पटना फिर से सूची में सबसे ऊपर है, जहां सालाना औसतन 82 हिंसक घटनाएं होती हैं, इसके बाद मोतिहारी (49.53), सारण (44.08), गया (43.50), मुजफ्फरपुर (39.93) और वैशाली (37.90) का स्थान आता है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अगर आपकी प्राइवेट फोटो या वीडियो बिना इजाजत इंटरनेट पर वायरल हो जाए तो तुरंत हटवाने के लिए करें ये काम