मुजफ्फरनगर (उप्र)। खतौली में हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे के निशान भले ही धीरे-धीरे मिट जाएंगे, लेकिन उस ट्रेन में यात्रा करने वाले और घटनास्थल के आसपास रहने वाले लोगों के जहन में हादसे की खौफनाक यादें सदा रहेंगी, जब पटरी से उतरे डिब्बों में से एक डिब्बा एक घर में घुस गया, राहतकर्मियों को डिब्बों में फंसे शवों को निकालने के लिए घंटों जूझना पड़ा और क्षतिग्रस्त हुए डिब्बों को हाई-टेक क्रेनों ने उठाया गया।
शनिवार की शाम मनोज बालियान और उनके परिवार के सदस्य अपने घर पर थे कि उन्होंने जोरदार आवाज सुनी। उन्होंने देखा कि ट्रेन का एक डिब्बा हवा में उछल गया और यह किसी बड़े प्रक्षपेक की तरह तेजी से उनके घर की तरफ बढ़ा।
उन्होंने कहा कि हम मुख्य द्वार के पास बैठे थे। हम अंदर की तरफ भागे। डिब्बा हमारे मकान के आगे वाले हिस्से से टकरा गया और वह हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। यदि डिब्बा अंदर घुस जाता या छत से टकरा जाता तो हम सभी दफन हो जाते, लेकिन बालियान (42) के लिए यह भयावह दृश्यों की शुरुआत थी। ट्रेन के पटरी पर उतरने के प्रभाव से ट्रेन के डिब्बों के दरवाजों और खिड़कियों से घायल यात्री नीचे गिर रहे थे।
इस हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई और 156 अन्य घायल हो गए जिनमें से 26 की हालत काफी गंभीर है।
बालियान के रिश्तेदार मुकेश ने कहा कि यात्रियों के रक्तरंजित शव मेरे घर के सामने पड़े थे। इनमें से कुछ बुरी तरह क्षत-विक्षत थे। यह डरावना था और हमारे बच्चे इस तरह का भयावह दृश्य देखकर रोने लगे। कस्बे को फिर से सामान्य होने में लंबा समय लगेगा। हमने इतना भीषण ट्रेन हादसा कभी नहीं देखा। (भाषा)