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बैंक हड़ताल को लेकर पीएम मोदी के नाम पत्र

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, सोमवार, 5 जनवरी 2015 (20:56 IST)
आए दिन देश में बार-बार अति महत्‍वपूर्ण सेवा संस्‍था (वित्‍तीय संस्‍था) बैंक कर्मचारियों की गैर कानूनी हड़ताल से परेशान होकर एक नागरिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिकायत एवं सुझाव रूप में एक पत्र लिखकर देश के आम नागरिकों की परेशानियों को जाहिर किया।  
 
पत्र में कहा है कि किसी भी देश की रीढ़ उसकी वित्‍तीय ताकत होती है। हमारे देश के वित्‍तीय संगठन या वित्‍तीय सेवा संस्‍थाएं हमारी सभी बैंक हैं। देश की अधिकांश बैंक सरकारी हैं। सभी बैंकों को किसी भी तरह के ट्रांजेक्‍शन करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और क्‍लीयरिंग हाउस के माध्‍यम से ट्रांजेक्‍शन करना पड़ता है। 
 
पिछले एक साल में बैंक एवं वित्‍तीय संस्‍थाओं के कर्मचारियों ने चार बार असमय हड़ताल की है। यह हड़ताल पूर्ण रूप से अव्‍यावहारिक एवं गैर कानूनी है। 
 
नागरिकों से बैंक खाते खुलवा दिए हैं, जिसमें गरीब से गरीब व्‍यक्ति का भी नि:शुल्‍क खाता खुला है और अब बैंक सेवा का लाभ उठाना उसका अधिकार है, जबकि बैंक की हड़ताल हर नागरिक के अधिकारों का हनन है। 
 
कई छोटे व्‍यापारी जैसे पेपर हॉकर, सरकारी दुग्‍ध संस्‍था से जुड़े व्‍यापारी इत्‍यादि रोज सामान खरीदते हैं और अपना पैसा हाथोंहाथ बैंक में जमा करते हैं। इस तरह की हड़ताल इन व्‍यापारियों को पंगु बना देती है। यही कारण है कि पैसा घर या दुकान में रखकर वह व्‍यक्ति मुसीबत में पड़ सकता है। 
 
मझले व बड़े व्‍यापारियों का पूरा व्‍यापार चेक एवं RTGS पर टिका है। पैसा ट्रांसफर होने से सामान का संचलन होता है, किंतु हड़ताल होने से सभी चेक रूक जाते हैं। इस तरह की हड़ताल हमारी अर्थव्‍यवस्‍था को पीछे धकेल देती है। 
 
देखा गया है कि अधिकतर हड़ताल सोमवार और शु्क्रवार को की जाती है। इससे बैंक अधिकारी या कर्मचारी को लगातार छुट्टी मिल जाती है और आम आदमी सबसे ज्‍यादा परेशान होता है। 7, 21 और 24 जनवरी को अगली हड़ताल प्रस्‍तवित है। इससे 26 जनवरी तक कामकाज ठप रहेगा। जिसे सामान्‍य होने में करीब 5 दिन लग जाएंगे।  
पत्र में सुझाव दिया गया है कि बैंक एवं वित्‍तीय संस्‍थाओं से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध घोषित किया जाए। साथ ही हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किए जाएं।     
 
अपनी मांगों के‍ लिए कर्मचारियों को आंदोलन एवं प्रदर्शन सिर्फ रविवार को करने का अधिकार दिया जाए। इससे ऊपर आवश्‍यकता पड़ने पर कर्मचारी अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए हमारी न्‍याय व्‍यवस्‍था हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। 
 
पत्र में विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया है कि इस व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ कर आम नागरिकों को वित्‍तीय रूप से मजबूत बनाया जाएगा। 

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