उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में एक अदालत में नई अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जिस वर्तमान गर्भगृह को भगवान की जन्मस्थली बताया जा रहा है, असल में वह मूल गर्भगृह है ही नहीं।
अर्जी में कहा गया है कि प्राचीन केशवदेव मंदिर में बने गर्भगृह को तो मुगल शासक औरंगजे़ब ने वर्ष 1669-70 में तुड़वाकर उस स्थान पर ईदगाह का निर्माण करा दिया था। इसलिए वहां एक नोटिस बोर्ड लगाकर गर्भगृह के दर्शन के लिए आने वाले दर्शनार्थियों को यह स्पष्ट रूप से बताया जाए कि वह स्थान वास्तविक गर्भगृह नहीं है।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अनुपमा सिंह की अदालत में वकील पीवी रघुनन्दन द्वारा दाखिल अर्जी में अनुरोध किया गया है कि यह ज्ञात है कि वर्तमान गर्भगृह वास्तविक तौर पर भगवान श्रीकृष्ण का असली गर्भगृह नहीं है। इसमें कहा गया कि भगवान के असली गर्भगृह वाले मंदिर के मुख्य भाग को तो औरंगजे़ब द्वारा ध्वस्त कराकर उसके स्थान पर शाही ईदगाह का निर्माण करा दिया गया था।
अर्जी में कहा गया कि इसलिए अब वहां पर एक नोटिस बोर्ड लगाकर वहां आने वाले श्रद्धालुओं को यह सच्चाई बताई जाए कि वह वास्तविक गर्भगृह नहीं है।
याचिकाकर्ता के वकील पंकज जोशी ने मीडिया को बताया कि इस मामले में अदालत से श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी व सचिव; निदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण; उप्र सरकार के धार्मिक मामलों के सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, अन्य को पक्ष बनाते हुए नोटिस बोर्ड लगवाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने बताया कि अर्जी को मंजूर कर लिया गया है, लेकिन सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं की गई है। भाषा