नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तरप्रदेश में विभिन्न स्थानों पर चीनी मिलों के कारण अत्यधिक वायु प्रदूषण होने की वजह से पर्यावरण का अनियंत्रित क्षरण होने के मद्देनजर उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को इसके समाधान के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने यूपीपीसीबी को निर्देश दिया कि वह एनजीटी द्वारा गठित निगरानी समिति को कार्रवाई रिपोर्ट सौंपे। इस निगरानी समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसवीएस राठौर कर रहे हैं।
पीठ ने उत्तर प्रदेश निवासी सरोज कुमार मिश्रा की याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। याचिका में शाहजहांपुर के पुवायां में बांदा रोड पर एक चीनी मिल द्वारा पर्यावरणीय मापदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि मिल से उत्पन्न राख और प्रदूषित हवा के कारण क्षेत्र के लोगों को बीमारियां हो रही हैं।
याचिका में कहा गया है कि प्रदूषण के कारण पुवायां स्थित दीदार सिंह राणा स्कूल के छात्र भी प्रभावित हो रहे हैं और मिल को प्रदूषण रोकने के लिए फिल्टर सहित आवश्यक उपकरण लगाने की आवश्यकता है।
एनजीटी ने याचिका पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए कहा, राज्य पीसीबी यह सुनिश्चित कर सकता है कि निकटवर्ती स्कूल के छात्रों के स्वास्थ्य के हित के लिए आवश्यक वायु नियंत्रण उपकरण लगाए जाएं।
पीठ ने कहा कि यह सभी को ज्ञात है कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर इस प्रकार की इकाइयों के कारण अत्यधिक वायु प्रदूषण होता है, जिसके परिणामस्वरूप निर्धारित मापदंडों से अधिक एवं अनियंत्रित वायु प्रदूषण होता है जो कि वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा कि इसलिए राज्य पीसीबी को राज्य भर में ऐसी इकाइयों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की स्थिति पर नजर रखने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए एक विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है।
एनजीटी ने कहा कि अगर निगरानी समिति को लगता है कि कोई और निर्देश दिए जाने की जरूरत है तो समिति अपनी सिफारिशें इस अधिकरण को दे सकती है। (भाषा)