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केंद्र की नई अफीम नीति का विरोध, सड़कों पर उतरे किसान

हमें फॉलो करें केंद्र की नई अफीम नीति का विरोध, सड़कों पर उतरे किसान

मुस्तफा हुसैन

, बुधवार, 6 नवंबर 2019 (13:41 IST)
अफीम उत्पादक मालवांचल का किसान इस समय गुस्से में है और वो गुस्सा नीमच की सड़कों पर दिखाई दिया। यहां बड़ी संख्या में नीमच-मंदसौर जिले के किसान नई अफीम नीति के विरोध में सड़कों पर उतरे। किसानों ने विरोधस्वरूप नारकोटिक्स विभाग का घेराव किया।

किसानों का कहना है कि नई नीति किसान विरोधी है। मार्फिन आधारित इस नीति को हटाकर औसत के मान से ही पट्टे देने चाहिए, वहीं रकबे में भी की गई कमी को भी सरकार वापस ले। यदि तीन दिन में अफीम नीति में बदलाव नहीं किया गया तो सांसद के घर का घेराव करेंगे और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक अफीम किसानों की मांगें नहीं मान ली जातीं। जो हालात एमपी के मालवा में बने हैं, कमोबेश यही हाल राजस्थान के मेवाड़ में भी है।

गौरतलब है कि इस बार नई नीति में केंद्र सरकार ने कहा है कि मॉर्फिन पर्सेंटेज के आधार पर अफीम के पट्टे नारकोटिक्स विभाग जारी करेगा। वो भी 6, 10 और 12 आरी के, जिसे लेकर किसान ख़फा हैं। ख़ास बात यह है कि फसल स्तर 2018-19 में 34 हजार 521 किसानों ने अफीम की काश्त की थी और 4000 हेक्टेयर में अफीम उगाई गई थी, लेकिन फसल सत्र 2019-20 में 33 हजार 287  किसानों को एमपी में पट्‍टे जरूर मिले, लेकिन कुल रकबा घटकर 4 हज़ार से 2 हज़ार रह गया।
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मालवा में अफीम किसानों की लड़ाई लड़ रहे किसान नेता अमृतराम पाटीदार का कहना है कि हमारी साफ मांग है कि मार्फिन आधारित पट्टे न देते हुए औसत के मान से पट्टे दिए जाएं। इसके साथ ही अफीम का रकबा भी बढ़ाया जाए, जिसे लेकर हमने ज्ञापन दिया है और बात नहीं सुनी गई तो सरकार किसानों के उग्र आंदोलन के लिए तैयार रहें। हम तीन दिन इंतज़ार करेंगे, उसके बाद सांसद सुधीर गुप्ता के घर का घेराव करेंगे। तब तक उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देंगे, जब तक अफीम किसानों की मांगें नहीं मान ली जातीं।

कांग्रेस नेता सत्यनारायण पाटीदार कहते हैं जब सरकार ठोस आधार पर अफीम की सरकारी खरीद करती है तो फिर मानक लिक्विड आधार पर क्यों तय किए जाएं। वहीं भाजपा इस पूरे मामले में बैकफुट पर है। भाजपा से विधायक ओमप्रकाश सखलेचा ने अफीम किसानों का पक्ष लेते हुए कहा कि हमने दिल्ली में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाक़ात कर कहा है कि सरकार नीति में बदलाव करे और औसत आधार पर पट्‍टे जारी करे। उसके बाद किसानो को ट्रेनिंग दी जाए कि अफीम में मॉर्फिन पर्सेंटेज कैसे निकाला जाए, फिर यह बदलाव करें।

गौरतलब है की मप्र और राजस्थान में आगामी दिनों में पंचायतों, जिला पंचायत और मंडियों के चुनाव होना हैं। ऐसे में भाजपा को साफ़ दिख रहा है कि अफीम नीति में बदलाव नहीं किया गया तो किसान पार्टी का साथ छोड़ देंगे। वहीं नारकोटिक्स विभाग के उपायुक्त प्रमोद सिंह का कहना था कि अभी वे इस मामले में कुछ भी नहीं कह सकते हैं। वे सिर्फ किसानों की बात को ऊपर तक पहुंचा देंगे।

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