उत्तरप्रदेश के कानपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर जाकर आपके बिगड़े काम बन जाते हैं। यह मंदिर सैकड़ों साल से अपने भक्तों की मन्नतों को पूरा कर रहा है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में दुनियाभर से लोग आते हैं अपने कष्ट का निवारण करने के लिए और जब वापस जाते हैं तो उनके अंदर मानो एक अजब-सी शक्ति होती है और वे खुशी-खुशी जाते हैं।
यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यहां पर आने वाले भक्त कह रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कौनसा मंदिर है कानपुर में जिसके बारे में आपको पता नहीं। ऐसा नहीं है कि आप भी इस मंदिर के बारे में नहीं जानते हैं लेकिन हम आपको इस मंदिर के बारे में कुछ विस्तार से बताने जा रहे हैं। सबसे पहले यह मंदिर कहां पर है और क्या है इसकी मान्यता और क्यों आते हैं दूर-दूर से लोग? इस बारे में हम आपको अवगत कराएंगे।
कहां पर है और क्या है मान्यता :
उत्तरप्रदेश के कानपुर में सेंटर स्टेशन से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर पनकी स्थित हनुमानजी का मंदिर है जिसे पनकी मंदिर के नाम से भी जाना-पहचाना जाता है। यहां पर लाखों श्रद्धालु दूर-दूर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी का ये मंदिर बेहद प्राचीन है। इधर आने वाले सभी भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं। यहां के लोग कहते हैं कि ये मंदिर करीब 400 बरस पुराना है। इसकी स्थापना श्रीश्री 1008 महंत पुरुषोत्तमदासजी ने की थी।
लोग यहीं नहीं रुके, वे तो कहते हैं कि कानपुर शहर की स्थापना से पहले पनकी का हनुमान मंदिर स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि महंतजी एक बार चित्रकूट से लौट रहे थे तभी जिस स्थान पर पनकी का मंदिर है, वहां पर उन्हें एक चट्टान दिखी जिस पर बजरंग बली को देखा जा सकता था। बस, उन्होंने तब ही उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करने का फैसला किया।
क्या कहते हैं लोग :
अमित प्रताप सिंह लगभग 22 वर्षों से लगातार पनकी मंदिर आकर बाबा के दर्शन करते हैं और कहते हैं कि जब तक दिन में एक बार बाबा के दर्शन न कर ले, मानो उनका दिन ही पूरा नहीं होता है। अमित कहते हैं कि कितनी भी समस्या क्यों न हो, बजरंग बली बाबा के दर्शन करने के बाद जब वे घर की ओर वापस जाते हैं तो उनके मन में शांति रहती है व समस्या का निवारण मिल जाता है। अमित बताते हैं कि वे 2 साल की उम्र से अपने पिता के साथ पनकी मंदिर आ रहे हैं और तब से लगातार कोई भी दिन ऐसा नहीं गया है, जब उन्होंने बजरंग बली बाबा के दर्शन न किए हों।
क्या बोले महंत :
मंदिर के महंत जितेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह मंदिर कब अस्तित्व में आया है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। ऐसा माना जाता है कि ये मंदिर महाभारतकाल से अस्तित्व में आया और उसी जमाने से यहां बुढ़वा मंगल का आयोजन भी किया जाता है।