कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने उनके आवासों से जो रकम बरामद की है, वह उनकी जानकारी के बिना ही उनके आवासों में रखी गई थी। पार्थ भी कह चुके हैं कि पैसे उनके नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बरामद करोड़ रुपए अर्पिता और पार्थ चटर्जी के नहीं तो फिर किसके हैं?
ईडी के अधिकारियों ने दक्षिण-पश्चिम कोलकाता और बेलघोरिया में स्थित अर्पिता के दो फ्लैटों से आभूषणों के साथ-साथ लगभग 50 करोड़ रुपए नकद बरामद किए हैं। स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में ED ने पार्थ के साथ ही अर्पिता को भी गिरफ्तार किया है। चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी दोनों को दिन में चिकित्सा जांच के लिए शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में ESI जोका ले जाया गया।
अर्पिता ने कहा, मेरी जानकारी के बिना मेरे घरों में पैसा रखा गया था। उनके यह कहने के बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि उनका इशारा किसकी ओर था। इससे पहले, पार्थ चटर्जी ने कहा था कि वह एक साजिश का शिकार हुए हैं। मंत्री पद से हटा कर तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जाने के फैसले पर भी चटर्जी ने नाराजगी व्यक्त की थी। दिग्गज नेता ने यह भी कहा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई उचित थी या नहीं, यह तो समय ही बताएगा।
चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी, दोनों ने कहा है कि बरामद किया गया पैसा उनका नहीं था। उन्हें बुधवार को पीएमएलए की अदालत में पेश किया जाएगा। बुधवार को ही दोनों की 10 दिन की ईडी हिरासत खत्म हो जाएगी।