पटियाला। अमृतसर में पुलिसकर्मियों द्वारा 4 महिलाओं के माथे पर 'जेबकतरी' गुदवाने की घटना के 23 साल बाद सीबीआई की एक विशेष अदालत ने यहां 3 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए सजा दी है। इस मामले की बड़े स्तर पर निंदा हुई थी।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बलजिंदर सिंह ने शुक्रवार को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुखदेव सिंह चिन्ना और रामबाग थाने के तब के प्रभारी उपनिरीक्षक नरिंद्र सिंह मल्ली को 3 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी है। उन्होंने एएसआई कंवलजीत सिंह को भी 1 साल की कैद की सजा सुनाई है।
दिसंबर 1993 में हुई इस घटना की वजह से पंजाब पुलिस की व्यापक आलोचना हुई थी तब अमृतसर के पुलिसकर्मियों ने आदतन अपराधी 4 महिलाओं के माथे पर 'जेबकतरी' शब्द गुदवा दिए थे जिन पर एक पर्स चुराने का आरोप था।
यह घटना तब सामने आई थी, जब जेबकतरी के मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने उनके माथे को दुपट्टे ढंककर उन्हें अदालत में पेश किया। एक महिला ने अपने माथे पर गुदे शब्दों को अदालत को दिखा दिया और मामला सुर्खियों में आ गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी घटना का गंभीर संज्ञान लिया।
पीड़िताओं ने वर्ष 1994 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर प्रतिवादियों, पंजाब सरकार, अमृतसर पुलिस अधीक्षक और अन्य को गुदे हुए शब्दों को हटाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराने का प्रबंध करने, अमानवीय कृत्य और अपमान के लिए मुआवजा देने तथा दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की थी। (भाषा)