Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पटना में भगदड़ : चश्मदीदों की जुबानी, हादसे की कहानी

Advertiesment
हमें फॉलो करें पटना में भगदड़
, शनिवार, 4 अक्टूबर 2014 (08:28 IST)
पटना। पटना के गांधी मैदान के बाहर बीती शाम मची भगदड़ ने 32 जानें ले ली। विशाल और वीरान मैदान में दूर-दूर तक बिखरी पड़ी थीं चप्पलें, जूते, खिलौने...हादसे की कहानी बयान करने के लिए यही सब बाकी बचे थे।

ये उन सब लोगों का सामान था जो गांधी मैदान के दक्षिणी पूर्वी छोर पर अपनी जान बचाने के लिए भागे चले गए थे और इनमें से कुछ सैंकड़ों की भीड़ के पैरों के नीचे रौंदे गए। शहर के लोगों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि दशहरा उत्सव संपन्न होने के बावजूद गांधी मैदान के निकासी द्वारों को लोगों के लिए नहीं खोला गया।

गांधी मैदान से एग्जीबिशन रोड तक का करीब आधा किलोमीटर का रास्ता और कारगिल चौक तक के इतने ही रास्ते में जूते, चप्पल और भी न जाने कितना सामान बिखरा पड़ा था। ये उन लोगों का सामान था जो बिजली का तार गिरने की अफवाह के बाद अपनी जान बचाने के लिए बाहर की ओर भागे थे।

पूर्वी गांधी मैदान में दुकान चलाने वाले और दशहरा देखने आए मनीष कुमार ने दावा किया कि उसने अपनी आंखों के सामने भगदड़ मचते देखी जिसने उसे भीतर तक हिलाकर रख दिया है। उसने कहा कि वे दृश्य मुझे सालों तक डराते रहेंगे। कुमार ने बताया कि मैदान के 11 गेटों में से केवल दो निकासी के लिए थे और लोग बाहर निकलने के लिए एक दूसरे को रौंदे डाल रहे थे।

कुमार ने बताया कि कुछ युवकों ने ‘भागो-भागो’ चिल्लाना शुरू कर दिया जिसके बाद लोगों में दहशत फैल गयी और भगदड़ मच गयी । सैकड़ों महिलाएं और बच्चे गिर गए और अपनी जान बचाने के लिए भाग रही भीड़ के पैरों नीचे कुचले गए । मैं उन्हें बचा नहीं सका...वे मेरे परिवार की महिलाएं हो सकती थीं...मेरे बेटे-बेटियां हो सकती थीं।’’ करीब 20 वर्ष की आयु के कुमार ने लोगों की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध नहीं करने के लिए पुलिस की आलोचना की, खासतौर से रावण वध के बाद लोगों के बाहर निकलने के लिए किए गए प्रबंधों को लेकर । उन्होंने कहा कि गांधी मैदान के दक्षिण की ओर यातायात और लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था ।

कुमार के आंखों देखे हाल को ही दोहराते हुए मजदूर उदय कुमार ने दावा किया कि रावण वध जैसे आयोजन को देखते हुए गांधी मैदान में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रबंध नहीं था ।
घटना के गवाह होने का दावा करने वाले आइसक्रीम बेचने वाले सुमन और उसके दोस्तों रंजीत कुमार तथा अजय प्रसाद ने बताया कि कुछ युवकों ने उपर लटकते बिजली के तारों के गिरने की अफवाह फैलायी, एक लटकते तार से उलझकर एक बुजुर्ग व्यक्ति का गिर पड़ना तथा बाहर निकलती भीड़ के धक्कामुक्की करने समेत कई चीजों के चलते भगदड़ मच गयी ।

उन्होंने कहा कि गांधी मैदान के दक्षिण पूर्वी छोर पर स्थित सड़क पर जिला पुलिस और वीआईपी की गाड़ियां खडी होने के कारण सड़क पर लोगों के लिए बहुत कम जगह थी।  लोहानीपुर से आए एक बुजुर्ग सुरेश प्रसाद अफरा तफरी में अपनी चार साल की नातिन को ढूंढ रहे थे। प्रसाद की बेटी सोनी ने बताया कि उसकी बड़ी बहन की बेटी एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसका हाथ पकड़े जाने और घटनास्थल से चले जाने के बाद से लापता है ।

उसने रोते हुए बताया, ‘‘हम बेतहाशा उसे ढूंढने में लगे हैं और पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी है।’’ उसकी बड़ी बहन बुरी तरह रोए जा रही थी और सोनी ने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि वह ( भांजी) उस अज्ञात आदमी के हाथों में सुरक्षित हो।  (भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi