छतरपुर। अभी कुछ समय पहले ही भीषण सूखे की मार झेल रहा बुंदेलखंड अब भारी बारिश के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है। हालात यह हैं कि कहीं सड़क टूटने की खबर है, कहीं पुल धराशायी होने की। चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। आइए, जानते हैं पानी भी भयावहता को दशाती छतरपुर जिले की तस्वीरें....
केन नदी का जल स्तर बढ़ा। खमताना गांव पानी से घिरा। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया।
जिले के ईसानगर थाना क्षेत्र के पचेर घाट पर फंसे सात लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाल लिया गया है। सुरक्षित निकाले गए लोगों में अमरसिंह यादव, महेंद्र, मंगल, रामबालक, सुकन, राजा, गोविंद रैकवार हैं। इस अवसर पर तहसीलदार अलोक वर्मा मौके पर मौजूद थे।
भारी बारिश के चलते गुलगंज के पास डिवाइडर पुलिया की मरम्मत का काम जोरों पर। कलेक्टर मसूद अख्तर और एसपी ललित शाक्यवार सहित पूरा प्रशासन राहत कार्य में जुटा।
केन नदी उफान पर, होटल हुआ जलमग्न। नदी किनारे बसे आसपास के गांव भी अलर्ट पर हैं। अगर यूँ ही बारिस होती रही तो अन्य गाँव भी इसी तरह बाढ़ की चपेट में आ कर जलमग्न हो जाएंगे।
हालाँकि इन गावों को अलर्ट कर दिया गया है। जिनमें टपरियन, बरबसपुरा, दुपरिया, पटना, बहरपुरा, सहित अन्य गाँवों मुख्य हैं। पन्ना जिले के पवई पतने पुल के ऊपर से पानी बहने लगा। पवई, मोहन्द्रा, सिमरिया, हटा, दमोह, सागर से आवागमन अवरुद्ध। प्रशासन ने आने-जाने मे लगाई रोक।
इसी के चलते ग्रामीणों ने धूर्तता और पाखंड का सहारा लिया है और बढ़ते पानी के किनारे पर बड़ी पूजा अर्चना की है। इस संबंध में लोगों का मानना है कि नदी किनारे पूजा-पाठ कर कामना की गई है कि नदी अपने दायरे में रहे और आगे बढ़कर कहर न बरपाए। लोगों की मानें तो इसी वजह से उनका गांव बाढ़ और आपदा से बचा हुआ है।
छतरपुर जिले की बड़ामलहरा विधानसभा और दमोह संसदीय क्षेत्र के प्रसिद्ध जैन तीर्थ नैनगिरि का कोहरा पुल हुआ धराशायी। पुल का गत वर्ष ही निर्माण हुआ था।
नदी किनारे बसे आसपास के गांव भी अलर्ट पर हैं। अगर यूँ ही बारिस होती रही तो अन्य गाँव भी इसी तरह बाढ़ की चपेट में आ कर जलमग्न हो जाएंगे। हालाँकि इन गावों को अलर्ट कर दिया गया है। जिनमें टपरियन, बरबसपुरा, दुपरिया, पटना, बहरपुरा, सहित अन्य गाँवों मुख्य हैं।
टीकमगढ़ जिले में बड़ागांव धसान की टीकमगढ़ रोड की पुलिया बह गई है। आलम यह है कि सागर-टीकमगढ़ मार्ग पर केवल टैक्सी और दोपहिया वाहन ही निकल पा रहे हैं।
केन घड़ियाल अभ्यारण्य के बाद अब रनेह फॉल हुआ प्रतिबंधित। केन नदी ने विकराल रूप धारण किया। बारिश का पानी रनेह फॉल पहुँच मार्ग तक पहुंचा। केन नदी टाईगर रिजर्व से निकलती है। भारी बारिश के बीच बुंदेलखंड में ढोंग और पाखंड भी चरम पर है। पिछले 2 दिनों से खतरे के निशान से ऊपर उठकर बह रही है। नदियों में 1.5 से 2 किलोमीटर एरिया की चौड़ाई में पानी बह रहा है।