कोलकाता। लिटरेचर प्वाइंट की ओर से उपनगर टीटागढ़ में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शैलेन्द्र शान्त ने की। कार्यक्रम में सत्येन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, डॉ. अभिज्ञात एवं आनंद गुप्ता ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति की। प्रख्यात गायिका प्रतिभा सिंह ने इस अवसर पर अंजुम रहबर की ग़ज़ल का गायन किया।
आनंद गुप्ता ने स्त्री पर केन्द्रित कविता भी पढ़ी, जिसके बोल यूं थे- वह सारी रात आकाश बुहारती रही/उसका दुपट्टा तारों से भर गया/चांद को उसने अपने जूड़े में खोंस लिया.../...रोटियां सेंकते हुए कई बार जले उसके हाथ/उसने आज आग ले लड़ना सीख लिया है। सत्येन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव की एक कविता थी- मैं जानता हूं तुम्हारी नीयत खराब नहीं थी/ मेरा वक़्त खराब था।
उन्होंने अपने कविता संग्रह रोटी के हादसे में संकलित कुछ कविताएं सुनाईं। वहीं शैलेन्द्र शान्त की कविता थी- बकता है बहुत/बस यूं ही मचाते रहता है शोर/कुछ कहता नहीं स्पष्ट/ बस फैलाता जाता है प्रदूषण/ध्वनि का/तूझे क्यों नहीं होता इसका अहसास/ करता ही जाता है बकवास। डॉ. अभिज्ञात ने अपनी चर्चित कविताएं पैसा फेंको और तुम मेरी नाभि में बसो, मेरे विश्वास का पाठ किया।