कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर कुर्सी को लेकर खींचतान जारी है। कांग्रेस सरकार के भीतर सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच जारी यह खींचतान अब सार्वजनिक स्वरूप ले चुकी है। दोनों के बीच 'शब्दबाण' चल रहे हैं। आज भी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर एक-दूसरे पर निशाना साधा' दोनों शीर्ष नेताओं की बढ़ती अदावत ने राज्य की राजनीति में हलचल को और बढ़ा दिया है।
ट्वीट में साधा निशाना
डीके शिवकुमार ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा शब्द शक्ति ही विश्व शक्ति हैदुनिया की सबसे बड़ी ताकत अपनी बात पर कायम रहना है। चाहे वह जज हो, राष्ट्रपति हो या कोई और, चाहे मैं ही क्यों न हूं, सभी को अपनी बात पर चलना ही होगा। शब्द शक्ति ही विश्व शक्ति है।
सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया पर ही लिखा जवाब
सिद्धारमैया ने अपने ट्वीट में लिखा एक शब्द तब तक शक्ति नहीं है जब तक वह लोगों के लिए दुनिया को बेहतर न बनाए। यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि शक्ति योजना ने हमारे राज्य की महिलाओं को 600 करोड़ से ज़्यादा मुफ़्त यात्राएं प्रदान की हैं। सरकार बनने के पहले महीने से ही, हमने अपनी गारंटियों को शब्दों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर अमल में लाया।
वायरल पोस्ट को बताया फेक
डिप्टी चीफ मिनिस्टर डीके शिवकुमार ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर उनके नाम से वायरल हो रहे एक पोस्ट को गलत बताया। उन्होंने इसे मनगढ़ंत बताया और ज़ोर देकर कहा कि उन्होंने वह लाइन नहीं लिखी है जिससे कर्नाटक में पहले से चल रही पावर-शेयरिंग की बहस में नई चर्चा शुरू हो गई है।
उन्होंने बेंगलुरु में रिपोर्टर्स से कहा कि मैंने ट्विटर पर कुछ भी पोस्ट नहीं किया है। यह फेक है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर नई दिल्ली में पार्टी लीडरशिप उन्हें बुलाती है, तो वह और चीफ मिनिस्टर सिद्धारमैया "बातचीत करेंगे और जाएंगे"।
गोपनीय समझौते की दिलाई याद
डीके ने पहली बार खुलकर संकेत दिया कि 2023 के चुनावों में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद सत्ता साझा करने के संबंध में एक गोपनीय समझौता हुआ था। उन्होंने कहा कि यह डील 5-6 नेताओं के बीच हुई थी और वह इसे सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं करना चाहते। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की मांग नहीं की है और वह पार्टी को शर्मिंदा या कमजोर नहीं करना चाहते।
उन्होंने दोहराया है कि मुख्यमंत्री पद या सत्ता हस्तांतरण के संबंध में अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान ही लेगा। हालांकि कर्नाटक की राजनीति में अब सभी की निगाहें कांग्रेस हाईकमान के उस अंतिम फैसले पर टिकी हैं, जो राज्य के नेतृत्व की दिशा तय करेगा। Edited by : Sudhir Sharma