उत्तर प्रदेश सरकार के लिए यूपी में जो सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा वाली सीट है तो वह है गोरखपुर। क्योंकि इस सीट पर ढाई दशक से ज्यादा समय तक गोरखपुर मठ का कब्जा था, जिसके मुखिया राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। ऐसे में इस सीट पर सपा के प्रवीण निषाद की जीत को बहुत बड़ी जीत कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा।
नोएडा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक कर चुके प्रवीण कुमार का यह पहला चुनाव था और पहली ही बार में वे मजबूत सीट से जीत हासिल करने में भी सफल रहे। साल 2008 में बी.टेक करने के बाद 2009 से 2013 तक उन्होंने राजस्थान के भिवाड़ी में एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की थी, लेकिन पिता की विरासत में हाथ बंटाने के लिए जल्द ही गोरखपुर लौट आए।
प्रवीण को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता डॉक्टर संजय कुमार निषाद राष्ट्रीय निषाद पार्टी के संस्थापक हैं। साल 2013 में उन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया था। उस वक़्त प्रवीण उस पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे। अपनी उम्मीदवारी के समय दिए गए हलफ़नामे में प्रवीण ने अपने पास कुल 45 हजार रुपए और सरकारी कर्मचारी पत्नी रितिका के पास कुल 32 हजार रुपए नकदी होने का ब्योरा दिया था।
निषाद वोटों का गणित : निषाद बिरादरी के 3.5 लाख वोटर गोरखपुर सीट पर जीत-हार तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। साल 2014 में योगी आदित्यनाथ ने जमुना निषाद की पत्नी और एसपी उम्मीदवार राजमती निषाद को 3 लाख के बड़े अंतर से हराया था। वहीं एसपी के उम्मीदवार रामभुवाल को उस वक्त 1 लाख 76 हजार 412 वोट हासिल हुए थे। लेकिन इस चुनाव में योगी जैसा चेहरा नहीं था और साथ ही सपा और बसपा का गठबंधन भी था, जिसने प्रवीण की जीत में अहम भूमिका निभाई।