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अब विवाह पूर्व समझौते को कानूनी मान्यता!

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नई दिल्ली , रविवार, 22 नवंबर 2015 (17:14 IST)
नई दिल्ली। समाज में तलाक की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए और महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए सरकार ‘विवाह पूर्व समझौते’ को कानूनी रूप देने की संभावनाएं तलाश रही है।
 
सूत्रों के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जल्दी ही इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। विवाह पूर्व समझौते पर कानूनी विशेषज्ञों की सिफारिशों पर सहमति बनने के बाद ‘विवाह पूर्व समझौते’ की प्रणाली पश्चिमी देशों में प्रभाव पूर्ण ढंग से चल रही है। 
 
भारत में तलाक की प्रक्रिया बहुत जटिल, लंबी और कष्टदायक है। दोनों पक्षों के बीच कोई समझौता नहीं होने कारण यह कई सालों तक चलती है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर तीखे और कड़े आरोप लगाते हैं जिससे दोनों पक्षों को मानसिक सदमा झेलना पड़ता है।
 
जानकारों का कहना है कि अगर ‘विवाह पूर्व समझौते’ की अवधारणा भारत में भी लागू हो जाए तो तलाक होने पर बहुत सारी असहज परिस्थितियों का सामना करने से बचा जा सकता है। मौजूदा परिस्थितियों में अदालतें ऐसे किसी भी समझौते को खारिज कर देती हैं, क्योंकि भारतीय कानून में इन्हें कोई मान्यता नहीं देता।
 
भारत में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत में तलाक की दर प्रति हजार पर 13 हो गई है। बड़े शहरों में तलाक के मामलों में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2010 में मुंबई में 5,245 मामले सामने आए थे, जो पिछले वर्ष तक 11,667 तक पहुंच गए।
 
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने हाल में कानून मंत्री सदानंद गौड़ा से ‘विवाह पूर्व समझौते’ को कानूनी रूप देने के संबंध में बातचीत की थी। इस संबंध कानूनी विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं से सुझाव मांगे जा रहे हैं। 
 
मंत्रालय का प्रस्ताव है कि विवाह पंजीकरण के समय ‘विवाह पूर्व समझौते’ का प्रारूप दंपति को दिया जाए। इससे संबंधित प्रावधान तलाक कानून में समाहित किए जाएंगे। 
 
जानकारों का कहना है कि ‘विवाह पूर्व समझौता’ स्त्री और पुरुष दोनों के लिए लाभप्रद और सुविधाजनक होगा। वैवाहिक संबंध खराब होने के बाद स्त्री अगर तलाक लेने के बारे में सोचती है तो वह आगे के जीवन के संबंध में अनिश्चित रहती है और पुरुष अगर तलाक लेना चाहता है तो उसे अव्यावहारिक मांगों का सामना करना पड़ता है। इससे दोनों अपना जीवन घुट-घुटकर जीते हैं।
 
‘विवाह पूर्व समझौता’ विवाह से पहले दोनों पक्षों के बीच एक लिखित समझौता होगा जिसमें दोनों द्वारा अलग-अलग होने के तौर-तरीकों के अलावा संपत्ति, देनदारी, जिम्मेदारी और कर्तव्यों का ब्योरा रहेगा। इसको संबंधित अधिकारी के पास पंजीकृत कराना होगा और इसकी कानूनी बाध्यता होगी। समझौते में तलाक होने की स्थिति में संपत्ति के मालिकाना हक का भी ब्योरा होगा। (वार्ता) 
 

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