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शेयर चैट : कमाल का सोशल मीडिया नेटवर्क

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पश्चिम में जहां स्मार्टफोन और इंटरनेट ने अकेलेपन को बढ़ाया है वहीं भारत में इन्होंने लोगों को आपस में जोड़ा है। मैसेज करने का सिंपल एप जैसे व्हाट्सएप मैसेज करने से अधिक सोशल नेटवर्क के रूप में काम कर रहा है। 
 
व्हाट्सएप का उद्देश्य इस तरह लोगों को जोड़ना नहीं था परंतु भारत की संस्कृति के चलते यह एप इस तरह काम करने लगा। फेसबुक और ट्विटर की पहुंच कम लोगों तक है। खासतौर पर ऐसे लोग जो इंटरनेट से मोबाइल के जरिए हाल ही में जुडे हैं या जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं लिमिटेड डाटा पैक के कारण इनका इस्तेमाल नहीं करते। 
 

लोग अपने आसपास के लोगों से अपनी भाषा में जुड़ना चाहते हैं। भारत की बड़ी आबादी की जरूरतों को अब तक समझा नहीं गया था। इसकी शुरूआत शेयरचैट के आने के बाद हुई। 
 
शेयरचैट अनोखा सोशल मीडिया नेटवर्क भारत की विभिन्न भाषाओं के लिए तैयार कर रहा है जिसमें हिंदी, मराठी, मलयालम और तेलुगु शामिल हैं। 
 
शेयरचैट एक मिलियन डाउनलोड की करीब है और इसके आधा मिलियन एक्टिव यूजर हैं। यह हर हफ्ते 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। शेयरचैट की शुरूआत तीन आईआईटी छात्रों फरीद अहसान, भानु सिंह और अंकुश सचदेवा ने 2015 में की थी। 
 
इन तीनों ने आम लोगों की जरूरतों को समझा और उनके लिए संवाद को आसान बनाया। देश में तीन तरह की जनता है। पहली जिसमें अमीर इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले 30-40 मिलियन उपभोक्ता है। दूसरी 100-150 मिलियन लोगों की आबादी जो अपने स्मार्टफोन से इंटरनेट चलाते हैं। तीसरी पूरी एक बिलियन जनता है जो इंटरनेट को कम अच्छे से जानती है। 
 
अधिकतर लोग लोकल भाषा में बातचीत (मैसेजिंग) करना चाहते हैं। इन लोगों को गूगल के प्लेस्टोर की समझ भी है। इनकी जरूरतें पूरी करना शेयरचैट ने जरूरी समझा। 
 
शेयरचैट के जरिए यूजर एक दूसरे को फोलो कर पाते हैं, अपनी भाषा में कंटेट खोज पाते हैं और बना भी पाते हैं और इसे शेयर भी कर सकते हैं। शेयरचैट की शुरूआत एक फन एप के तौर पर हुई थी। यह एक पूर्ण सोशल मीडिया बनने को तैयार हो चुका है।  इसकी तेज सफलता इस बात का सबूत हैं कि उपभोक्ता इस तरह के एप के इंतजार में थे। 
 
यह हाल ही में उन 6 एप में शामिल था जिन्हें गूगल लांचपैड एक्सलेरेटर प्रोग्राम के लिए बुलाया गया था। शेयरचैट भारत के लिए ऐसा होगा जैसे पश्चिम के लिए ट्विटर है। यह सही मायनों में भारतीय फेसबुक है। 
 

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