मेरठ। पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। उत्तर प्रदेश में भले ही किसी भी पार्टी की सरकार रही हो लेकिन याकूब कुरैशी के कारनामे उजागर होते रहे हैं। ताजा मामला याकूब कुरैशी के अल फईम मीटैक्स प्राइवेट कंपनी से जुड़ा सामने आया है। वर्ष 2019 में मीट फैक्टरी अल-फहीम मीटैक्स प्राइवेट लिमिटेड को मेरठ विकास प्राधिकरण ने नियमों का उल्लंघन करने के मामले में सील कर दिया था।
बंद पड़ी इस मीट फैक्टरी में अवैध कटान की सूचना मेरठ पुलिस के आलाधिकारियों को मिली। पुलिस-प्रशासन ने छापेमारी करते हुए फैक्टरी से 25 टन पैक्ड मीट और 6 टन अनपैक्ड मीट बरामद किया है, जबकि फैक्टरी मालिकों के पास इसका लाइसेंस भी नहीं था। पुलिस ने इस मामले में 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
मुख्यमंत्री योगी के कार्यकाल 2.0 की शुरूआत होते ही मेरठ में बुधवार रात्रि 3 बजे पुलिस व प्रशासन की टीम ने कई विभागों को लेकर अल फईम फैक्टरी में छापा मारा तो हड़कंप मच गया। वहां मौजूद 10 कर्मचारी पुलिस को देखते ही इधर-उधर भागने लगे, जिसमें से एक मजदूर दीवार कूदने की कोशिश में चोटिल हो गया। छापेमारी की टीम ने फैक्टरी से अवैध रूप से पैक किया गया 25 टन मीट पकड़ा। इस मीट की कीमत करीब पांच करोड़ रुपए के आसपास बताई जा रही है।
याकूब के खरखौदा थाना क्षेत्र स्थित मीट प्लांट में लगभग 20 घंटे रेड चली, इस दौरान एसडीएम सदर संदीप भागिया, एसपी देहात केशव कुमार, एसपी चंद्रकांत मीणा, एमडीए, विद्युत विभाग, प्रदूषण, पशुपालन खाद्य विभाग की टीम प्लांट पर पहुंचकर जांच में जुट गई है।
पुलिस ने इस मामले में याकूब के 2 बेटे जो फैक्टरी के डायरेक्टर हैं समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस अब तक फैक्टरी के दस कर्मचारियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि याकूब और उसके दो बेटे इमरान और फिरोज पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं, हालांकि संजीदा नाम की एक महिला का नाम भी मुकदमे में है।
मेरठ के एसएसपी ने बताया कि प्रथमदृष्टया यह गोवंश का नहीं है। मेरठ डीएम के बाला जी के मुताबिक प्रशासन के सभी विभाग अपनी जांच कर रहे हैं। जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जो सरकारी विभाग फैक्टरी के संचालन को रोकने में उदासीन रहे हैं, उनकी भूमिका की जांच के उपरांत एक्शन होगा। बिना लाइसेंस के अल फईम के मीट पैकेजिंग का कामकाज फैक्टरी में संचालित हो रहा था।
हाजी याकूब कुरैशी ने डेनमार्क के कार्टूनिस्ट जिसने पैगंबर का विवादित कार्टून बनाया था, उसका सिर कलम कर देने वाले शख्स को 2006 में 51 करोड़ रुपए देने की घोषणा करके मीडिया की सुर्खियां बटोरी थी और मुसलमानों के बड़े नेता के रूप में उभरे थे। उस समय याकूब बीएसपी पार्टी से केंडिडेट थे। याकूब ने रालोद के टिकट पर भी चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।
याकूब कुरैशी एक दशक तक स्लाटर हाउस के विवादों में घिरे रहे। अब जब वह मेरठ विकास प्राधिकरण को शपथ पत्र दे चुके हैं कि वह मीट फैक्टरी बंद कर चुके हैं, उसके बाद फैक्टरी में मीट का मिलना बड़े संकेत की तरफ इशारा करता है।
प्रश्न यह उठता है कि 2019 से सील मीट फैक्टरी में मीट प्रोसेसिंग का काम लंबे समय से चल रहा है? ऐसा कैसे संभव है कि किसी विभाग को इसकी जानकारी न हो? फैक्टरी से महज कुछ दूरी पर खरखौदा पुलिस चौकी है, एक बार यह भी मान लें की फैक्टरी में आते-जाते ट्रक पुलिस को शायद दिखाई न दे रहे हों, लेकिन चप्पे-चप्पे पर मौजूद पुलिस के मुखबिर आंख मूंद के कैसे बैठे हुए थे, यह चिंता का विषय है।