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Rajkot Gaming Zone Fire: HC की फटकार के बाद सरकार का एक्शन, राजकोट के कमिश्नर सहित 6 IPS अधिकारियों का ट्रांसफर

DNA से शवों की पहचान

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, सोमवार, 27 मई 2024 (23:10 IST)
Rajkot Gaming Zone Fire News :  गुजरात के राजकोट में एक गेम जोन में आग लगने से 27 लोगों की मौत के दो दिन बाद राज्य सरकार ने सोमवार को शहर के पुलिस आयुक्त, दो अन्य आईपीएस अधिकारियों और नगर आयुक्त का तबादला कर दिया। यह कदम पिछले हफ्ते शहर के एक गेमिंग जोन में घातक आग लगने के बाद गुजरात हाई कोर्ट की कड़ी फटकार के परिणामस्वरूप उठाया गया है। इस घटना ने न केवल राज्य प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर किया बल्कि न्यायपालिका की गंभीरता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी उजागर किया। 
 
गुजरात हाईकोर्ट ने ‘गेम जोन’ में लगी आग से 27 लोगों की मौत को लेकर राजकोट नगर निकाय को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि अब उसका राज्य मशीनरी पर से भरोसा उठ गया है जो लोगों की जान जाने के बाद हरकत में आती है।
 
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इन अधिकारियों का हुआ तबादला :  पुलिस आयुक्त राजू भार्गव, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विधि चौधरी और पुलिस उपायुक्त (जोन -2) सुधीर कुमार देसाई को बिना तैनाती के स्थानांतरित कर दिया गया। सरकार ने राजकोट नगर आयुक्त एवं आईएएस अधिकारी आनंद पटेल का भी तबादला कर दिया। सरकार ने अहमदाबाद के सेक्टर-2 के विशेष पुलिस आयुक्त ब्रजेश कुमार झा को राजकोट का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया है।
 
कच्छ-भुज (पश्चिम) के पुलिस उप महानिरीक्षक महेंद्र बागरिया, राजकोट के नये अतिरिक्त पुलिस आयुक्त का पदभार संभालेंगे, जबकि केंद्रीय कारागार, वडोदरा के अधीक्षक, जगदीश बंगरवा, नये पुलिस उपायुक्त होंगे। सरकार ने राजकोट के नगर आयुक्त आनंद पटेल की सेवा को "अगले आदेशों के लिए सामान्य प्रशासनिक विभाग (जीएडी) के अधीन" कर दिया है।
 
पटेल की जगह डीपी देसाई ने ले ली है, जो वर्तमान में अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (एयूडीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं और उन्हें गांधीनगर शहरी विकास प्राधिकरण (जीयूडीए) के सीईओ का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। स्वच्छ भारत मिशन, गांधीनगर मिशन निदेशक भाव्या वर्मा सीईओ, एयूडीए और सीईओ जीयूडीए का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगी।
डीएनए से शवों की पहचान : गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने सोमवार को कहा कि राजकोट में आग से तबाह टीआरपी गेम जोन से बरामद नौ शवों की पहचान डीएनए जांच के माध्यम से की गई है।
 
शव इतने बुरी तरह जल गए थे कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। इसलिए राज्य सरकार डीएनए जांच के माध्यम से पीड़ितों की पहचान करने के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की मदद ले रही है। इस प्रक्रिया में समय लगता है।
 
अपने परिजनों के शव लेने के लिए राजकोट सिविल अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे कई शोकाकुल परिवारों की सोमवार को स्थानीय पुलिस के साथ तीखी बहस हो गई।
 
सांघवी ने पत्रकारों से कहा, “ मैं उन परिवारों का गुस्सा समझ सकता हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। एफएसएल भी चौबीसों घंटे काम कर रही है। एफएसएल के सभी कर्मचारियों ने अपनी छुट्टियां रद्द कर दी हैं ताकि सभी नमूनों का जल्द से जल्द विश्लेषण किया जा सके। मैंने प्रगति की समीक्षा की है और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भी हर घंटे जानकारी ले रहे हैं।”
 
सांघवी ने कहा कि जले हुए शवों से रक्त के नमूने एकत्र करना असंभव था, इसलिए फोरेंसिक विशेषज्ञों ने मृतकों और उनके रिश्तेदारों के डीएनए से मिलान करने के लिए शवों की हड्डियों के नमूने एकत्र किए हैं।
 
उन्होंने कहा, “अगर नमूने सड़क मार्ग से गांधीनगर लाए जाते तो इसमें लगभग चार घंटे लगते। डीएनए मिलान प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, मुख्यमंत्री ने एक एयर एम्बुलेंस की तैनाती का आदेश दिया।”
 
मंत्री ने कहा कि डीएनए मिलान की प्रक्रिया एफएसएल में रविवार सुबह शुरू हुई और 18 फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम तब से चौबीसों घंटे काम कर रही है ताकि उन शवों को उनके रिश्तेदारों को सौंपा जा सके जिनकी पहचान हो गई है।
 
सांघवी ने कहा,“यह प्रक्रिया लंबी है और इसमें नौ चरण शामिल हैं। डीएनए मिलान के लिए रिश्तेदारों के रक्त के नमूनों का मृतक के रक्त या हड्डी के नमूनों से मिलान किया जाता है। आमतौर पर, प्रत्येक नमूने का विश्लेषण करने में लगभग 48 घंटे लगेंगे।” उन्होंने कहा, “ अब तक नौ शवों की पहचान हो चुकी है। फिलहाल आठ नमूनों का विश्लेषण चल रहा है। रिपोर्ट आते ही हम परिजनों को सूचित करेंगे।'' इनपुट एजेंसियां

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