अयोध्या। अयोध्या के मंदिर मस्जिद विवाद के प्रमुख पक्षकारों में से एक निर्मोही अखाड़ा के महंत भास्करदास का शनिवार तड़के यहां निधन हो गया। वह करीब 90 वर्ष के थे।
अयोध्या विवाद में परमहंस रामचन्द्र दास, मोहम्मद हाशिम अंसारी और महंत भास्करदास ही प्रमुख पक्षकार थे। पक्षकारों में दो की मृत्यु पहले ही हो चुकी है जबकि भास्करदास ने तड़के करीब साढ़े तीन बजे अंतिम सांस ली।
वह पिछले कुछ दिनों से सांस लेने में तकलीफ की वजह से अस्पताल में भर्ती थे। वह पक्षाघात से भी पीड़ित थे। निर्मोही आखाड़े के सूत्रों के अनुसार उन्हें सरयू में जल समाधि दी जाएगी।
निर्मोही अखाड़ा के महंत बाबा भास्कर दास के उत्तराधिकारी महंत रामदास ने बताया कि गत 12 सितंबर को उनकी तबियत ज्यादा खराब होने पर यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि दास काफी दिन से अस्वस्थ चल रहे थे।
महंत रामदास ने बताया कि विवादित श्रीराम जन्मभूमि मुकदमें में वह 1959 से पक्षकार थे। तीस सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ विशेष पूर्ण पीठ के आए निर्णय में निर्मोही अखाड़े को विवादित भूखंड का 1/3 हिस्सा दिया गया था।
उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय में विवादित रामजन्म भूमि के चल रहे मुकदमे में भी निर्मोही अखाड़ा पक्षकार है। उच्चतम न्यायालय में भी अखाडे की तरफ से महंत भास्कर दास ही पैरवी कर रहे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। योगी ने अपने शोक संदेश में कहा कि महंत भास्कर दास नैतिकता की प्रतिमूर्ति थे। उनके निधन से संत समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। (वार्ता)