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पाकिस्तान से नजर रखी जा रही है कश्मीर में पत्थरबाजी पर

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर कश्मीर पुलिस परेशानी के आलम में इसलिए है क्योंकि व्हाट्सअप ग्रुपों के माध्यमों से अब कश्मीर की पत्थरबाजी की ऑन लाइन और लाइव रिपोर्टिंग होने से सीमा पार बैठे आका आतंकियों की ही तरह अब पत्थरबाजों को भी व्हाट्सअप से कंट्रोल कर उनकी पत्थरबाजी को संचालित करने लगे हैं।
 
कश्मीर में सुरक्षा बलों पर स्थानीय नागरिकों द्वारा की जाने वाली पत्थरबाजी के पीछे पुलिस ने पाकिस्तान का हाथ होने का शक जताया है। हाल ही में श्रीनगर में दर्ज किए गए एक मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने आरोप लगाया है कि पत्थरबाजी के लिए कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, जिनके एडमिन पाकिस्तानी हैं।
 
अधिकारी बताते हैं कि इन ग्रुपों में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे एनकाउंटर की सटीक लोकेशन और समय भेजा जाता है, फिर युवाओं से वहां पहुंचने को कहा जाता है। कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि जैसे ही एनकांउटर शुरू होता है, पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के लोग लोकेशन के बारे में सटीक जानकारी भेजकर युवाओं को एक जगह इकट्ठा होने को कहते हैं।
 
पुलिस ने दावा किया है कि इन व्हाट्सएप ग्रुप्स में एक एरिया के युवाओं को अगले एरिया के युवाओं से जोड़ने के लिए लिंक भी डाले जाते हैं। डीजीपी एसपी वैद्य का कहना था कि यह एक तथ्य है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल देश के दुश्मनों द्वारा किया जा रहा है।
 
कश्मीर के बडगाम में, मंगलवार (28 मार्च) को एक घर में छिपे आतंकी को पकड़ने की मुहिम में जुटे सेना और अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों पर पत्थरबाजी की गई, जिसमें तीन नागरिक मारे गए। कश्मीरी युवकों और सुरक्षा बलों के बीच इस मुठभेड़ में सीआरपीफ के 63 जवान घायल हुए। 
 
पिछले दिनों, जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी के युवाओं से पत्थरबाजी न करने की अपील की थी। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने सख्त लहजे में पत्थरबाजों को चेतावनी देते हुए कहा था कि सेना की कार्रवाई में बाधा डालने वालों से कड़ाई से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा था कि आतंकियों की मदद करने वालों को भी आतंकी ही समझा जाएगा।
 
दूसरी तरफ, पत्थरबाजों से निपटने के लिए केंद्र सरकार पेलेट गन के इस्तेमाल को पूरी तरह खत्म करने को तैयार नहीं है। मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने लोक सभा में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने तय किया है कि जरूरत पड़ने पर सुरक्षा बल पावा- चिली (शेल और ग्रेनेड्स), स्टन लैक (शेल और ग्रेनेड्स) का इस्तेमाल करते रहेंगे। साथ ही अगर यह हथियार कारगर साबित नहीं हुए तो पेलेट गन्स का इस्तेमाल भी किया जाएगा।

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