देहरादून। उत्तराखंड में 2 और शवों के मिलने के साथ ही राज्य में भारी बारिश से मरने वालों की संख्या शनिवार को बढ़कर 14 पहुंच गई जबकि राज्यभर की करीब 10 नदियां और छोटी नदियां उफान पर हैं और भूस्खलन की वजह से कई मार्गों पर यातायात बाधित हुआ है।
पिथौरागढ़ और चमोली जिलों में शुक्रवार को बादल फटने की घटना के बाद से 15 लोग अब भी लापता हैं और इससे मरने वालों की संख्या में और बढ़ोतरी का अंदेशा है।
यहां मौसम विभाग ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, खासतौर पर नैनीताल, उधमसिंह नगर और चम्पावत जिलों में। उत्तराखंड के लिए अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण हैं। यह राज्य 3 साल पहले आई बाढ़ से तबाह हो गया था जिसमें 6,000 लोग मारे गए थे।
अतिरिक्त सचिव सी. रविशंकर ने बताया कि पिथौरागढ़ जिले से शुक्रवार रात 9 शव बरामद किए गए थे, जबकि 2 और शव शनिवार सुबह मलबे में से निकाले गए हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पहले 3 शव चमोली से बरामद किए गए थे। 6 लोग अब भी लापता हैं और उनके बचने की उम्मीद कम है। 6 व्यक्ति पहाड़ से आकर गिरे मलबे में दब गए थे। इसमें कई घर तबाह हो गए। रविशंकर ने बताया कि 2 जिलों से कुल 15 लोग लापता हैं तथा मलबे में से और शव निकल सकते हैं।
रविशंकर ने कहा कि बड़े इलाके पर बादल फटने के बाद पहाड़ों से टनों मलबा नीचे आकर गिरा और यह पता लगाना मुश्किल है कि लापता लोग कहां फंसे हैं। मानसून पूर्व की बारिश शुक्रवार अहले सुबह उत्तराखंड पर कहर बनकर टूटी और पिथौरागढ़ तथा चमोली जिलों में बादल फटने की श्रृंखला में कई घर चपेट में आ गए जिसमें 12 लोग मारे गए और 17 अन्य मलबे में फंस गए। फंसे लोगों के बचने की उम्मीद कम है।
रविशंकर ने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसएसबी, आईटीबीपी, डीएमएम और पुलिसकर्मी प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों की निगरानी में बचाव अभियान चला रहे हैं। (भाषा)