सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में मंगलवार को जातीय हिंसा के बाद अब भी वहां तनाव की स्थिति बनी हुई है। हिंसा को को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को जिले के जिलाधिकारी (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को हटा दिया, जबकि मंडलायुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक के तबादले कर दिए। इसके अलावा जिले में हिंसा की घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने मोबाइल प्रदाता कंपनियों को मैसेज व सोशल मीडिया पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
प्रमोद कुमार पाण्डेय को नया जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है, जबकि बबलू कुमार सहारनपुर के नए पुलिस कप्तान बनाए गए हैं. मौजूदा जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रताप सिंह को प्रतीक्षारत रखा गया, जबकि एसएसपी को पुलिस महानिदेशक लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है.
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे और जिलाधिकारी एनपी सिंह को हटाया गया है, जबकि मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जेके शाही को भी स्थानांतरित किया गया है। जिले से हटाने को लेकर कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई गई है, लेकिन बताया जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर के हालात को नियंत्रित नहीं कर पाने को लेकर नाराजगी जताई, जिसके बाद उक्त अधिकारियों को हटाया गया।
बुधवार को भी सहारनपुर में एक शख्स को गोली मार दी गई। मंगलवार को भी हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई, जबकि 20 अन्य घायल हो गए थे। हालांकि, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर पहुंचे चार वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि स्थिति तनावपूर्ण, पर नियंत्रण में है।
मामले में अभी तक 24 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इस बीच 3 हफ्तों में चौथी बार हिंसा मंगलवार को तब भड़क उठी थी जबकि मायावती ने वहां का दौरा कर एक रैली की थी। मायावती के दौरे के बाद एक शख्स की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए। कई घरों में तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई। ताजा हिंसा के लिए भाजपा ने मायावती को जिम्मेदार ठहराया।
इस बीच गृह सचिव आईजी एसटीएफ समेत कई बड़े अधिकारियों को सहारनपुर भेजा गया है। यूपी के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इस पर कहा कि सहारनपुर में अमन और शांति कायम हो गई थी। मायावती अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने गईं।
वहीं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जनपद सहारनपुर में घटी घटना को दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए घटना में मृत युवक के प्रति शोक संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा है कि इस घटना के दोषी व्यक्तियों को चिन्ह्ति कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में जो लापरवाही घटित हुई है, उससे संबंधित अधिकारियों को दंडित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने धैर्य व संयम बनाए रखने के साथ-साथ विपक्षी दलों सहित सभी लोगों से शान्ति बहाली में सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यह सरकार सबकी है। जाति, पंथ, मजहब के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि 5 मई 2017 को शब्बीरपुर गांव में डीजे बजाने के मामले में हिन्दू दलित समूह और ठाकुरों के बीच संघर्ष हो गया था जिसके चलते ठाकुर समुदाय के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके बाद हिंसा भड़क उठी। 9 मई 2017 को दलितों की पुलिस से झड़प हुई। इसके बाद इस हिंसा में आग में घी डालने के लिए राजनीतिक बयानों के बाद 21 मई 2017 को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया गया और फिर 23 मई 2017 को मायावती ने सरहानपुर जाकर वहां लोगों को और भड़काया जिसके चलते एक बार फिर वहां हिंसा भड़क उठी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। अब इस व्यक्तिगत मामले को पूर्णत: जातीय और राजनीतिक मामला बना दिया गया है। (एजेंसी)