नई दिल्ली। शिक्षा का अधिकार कानून और सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद छह से 13 वर्ष आयु वर्ग के 60 प्रतिशत छात्र तीसरी कक्षा पास करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।
बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने आज जारी रिपोर्ट में यह बात कही। भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि लूई जॉर्ज आर्सेनल ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सर्व शिक्षा अभियान और वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून आने से देश में शिक्षा की स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। छह से 13 साल की उम्र के स्कूल नहीं जाने वाले छात्रों की संख्या वर्ष 2009 के 80 लाख से घटकर छह लाख रह गई है। लेकिन, अभी भी काफी चुनौतियां मौजूद हैं।
आर्सेनल ने बताया कि स्कूलों में दाखिला लेने वालों में से 60 प्रतिशत छात्र तीसरी कक्षा पास करने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ ने सरकार से नयी शिक्षा नीति में प्री-स्कूल शिक्षा को शामिल करने तथा आठवीं की बजाय दसवीं तक निर्बाध शिक्षा का प्रावधान करने की सिफारिश की है।
कार्यक्रम में मौजूद शिक्षा सचिव एस.के. खुंटिया ने कहा कि प्री-स्कूल संबंधी सिफारिश महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में यूनिसेफ की दोनों सिफारिशों को जगह मिल सकती है। नयी शिक्षा नीति के लिए गठित समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य है और शिक्षा भेद मिटाने बहुत बड़ा योगदान देता है।
खुंटिया ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने विशेष फोकस की जरूरत वाले जिलों की पहचान की है और इन जिलों में अभियान के कुल खर्च का 49 प्रतिशत व्यय किया जा रहा है। शिक्षा में लैंगिक असमानता दूर करने की दिशा में अभी भी काफी दूरी तय करनी है। (वार्ता)