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मेरठ के शाकिर को महंगा पड़ा कावड़ लाना, अपनों से मिले जख्म, पुलिस से लगाई गुहार

फलावदा कस्बे के हिन्दू दोस्त की तबीयत खराब होने के बाद शाकिर ने उठाई थी कावड़

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हिमा अग्रवाल

मेरठ , शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 (20:19 IST)
Meerut News: कभी-कभी दोस्ती निभाना इतना मुश्किल हो जाता है कि इंसान को अपनों की ही मार झेलनी पड़ती है। इस मार के बाद खुद से ही सवाल करने पड़ते है कि क्या मैंने कुछ गलत किया? मेरठ के फलावदा कस्बे के 20 वर्षीय मुस्लिम युवक शाकिर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें दोस्ती, आस्था और इंसानियत की मिसाल पेश करने वाला यह शख्स अब खुद अपनी ही जान की हिफाजत के लिए पुलिस से गुहार लगा रहा है।
 
मेरठ के फलावदा कस्बे में शाकिर अपने परिवार के साथ रहता है, उसके मित्र हिन्दू हैं, जिसके चलते वह उनके सुख-दुख में शामिल होता है। शाकिर का एक दोस्त कावड़ लेने गया था, रास्ते में उसकी तबीयत खराब हो गई, कावड़ उठाकर चलना मुश्किल था, लिहाजा उसने अपने मुस्लिम दोस्त शाकिर को फोन करके मदद के लिए बुला लिया। दोस्त की मदद के लिए धर्म भूलकर वह पहुंच गया, कावड़ लाया और शिवालय में जलाभिषेक भी किया। यह बात परिवार और आसपास के लोगों को अच्छी नही लगी। कावड़ लाना शाकिर के लिए मुसीबत का सबब बन गया। 
 
सिर्फ इतना कसूर था : शाकिर का कसूर बस इतना था कि उसने अपने हुए हिन्दू दोस्त की मदद की। हरिद्वार से 101 लीटर गंगाजल लाने में। दोस्ती के रिश्ते को मजहब से ऊपर रखते हुए उसने कंधे पर कावड़ उठाई, शिव मंदिर पहुंचा, जल चढ़ाया और रास्ते भर लोगों ने उसकी तारीफ की, सम्मानित भी किया। उस पल शाकिर को लगा था कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। पर जैसे ही वह घर लौटा, यह खुशी उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी सजा बन गई। हालांकि लंबे समय से भगवान शिव के प्रति शाकिर का लगाव और आस्था भी है।
 
घर पहुंचते ही मां-बाप की आंखों में नाराजगी थी। नाराज परिवार ने उसे खरी-खोटी सुनाई और खाना भी नही दिया। शाकिर भूखा था, इसलिए वह कुछ बोले दोस्त के घर पहुंचा, वहां उसने खाना खाया और फिर सोचा शायद माता-पिता का गुस्सा अब शांत हो गया होगा। लेकिन जब वह दोबारा घर लौटा, तो हालात और डरावने हो चुके थे।
 
अब परिजनों से ही खतरा : शाकिर के अनुसार, कुछ मोहल्ले के लोग लाठी-डंडे लेकर उसके घर पहुंचे। हैरानी की बात यह थी कि उसके अपने मां-बाप भी उन्हीं के साथ थे। सबने मिलकर उसे बांधने की कोशिश की, उसे अपशब्द कहे, और उसकी आस्था पर सवाल उठाए। शाकिर किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा और थाने पहुंचा। कांपते हुए उसने पुलिस को बताया कि मुझे अपने ही घर से जान का खतरा है।
 
शाकिर ने पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया और न्याय की गुहार लगाई। थोड़ी देर बाद परिजन थाने पहुंचे और उसे अपने साथ ले गए। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। शाकिर ने यह भी कहा कि वह शिवभक्त है, आस्था भी है, यदि परिवार का रवैया नहीं बदला, तो वह हिन्दू धर्म अपनाने पर भी विचार कर सकता है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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