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मराठा आरक्षण को लेकर शरद पवार का केंद्र सरकार से कदम उठाने का आग्रह

कहा कि केंद्र महज मूकदर्शक नहीं बना रह सकता

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 20 जून 2024 (15:42 IST)
Sharad Pawar's request : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने गुरुवार को कहा कि केंद्र महज मूकदर्शक बना नहीं रह सकता और उसे मराठा समुदाय (Maratha Community) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की आरक्षण की मांग से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए आगे आना चाहिए।
 
महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर मराठा-ओबीसी संघर्ष बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि इसका एक ही समाधान है कि केंद्र आगे बढ़कर इसे सुलझाने के लिए पहल करे। पवार ने कहा कि कानून और राज्य तथा केंद्र की नीतियों में संशोधन की जरूरत है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही।
 
महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वसम्मति से विधेयक पारित : महाराष्ट्र विधानसभा ने इस साल फरवरी में सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया जिसमें मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। हालांकि समुदाय ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग कर रहा है।

 
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जो कुनबियों को मराठा समुदाय के लोगों के 'सगे सोयारे' (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता देता है। जरांगे साथ ही कुनबियों को मराठा के रूप में पहचान देने संबंधी एक कानून बनाने की भी मांग कर रहे हैं। कुनबी, एक कृषि समूह है जिसे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ मिलता है।
 
मराठा आरक्षण की मांग के बीच 2 ओबीसी कार्यकर्ता पिछले सप्ताह से जालना जिले में अनशन पर बैठे हैं और सरकार से यह आश्वासन मांग रहे हैं कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए मौजूदा आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए। इस पर पवार ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों में बदलाव की जरूरत है।

 
उन्होंने कहा कि सरकारों खासतौर पर केंद्र को दोनों समुदायों की मांगों को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंदोलन कोई सीमा पार न करे और सामाजिक तनाव पैदा न हो। सरकारें इस मुद्दे पर महज मूकदर्शक बनी नहीं रह सकतीं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सकारात्मक कदम उठाए तो विपक्ष इस पर राजनीति नहीं करेगा।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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