मुंबई। शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि नोटबंदी करने, अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। भाजपा की पूर्व सहयोगी ने इस बात पर आश्चर्य जाहिर किया कि जब केंद्र में मजबूत सरकार है तो नवगठित केंद्रशासित प्रदेश में शांति क्यों नहीं है?
इसने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बावजूद स्थिति जस-की-तस है। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा कि सड़कों पर हर रोज खून बह रहा है और निर्दोष लोगों की जान जा रही है। नोटबंदी के बावजूद आतंकी गतिविधियों और फर्जी नोटों के चलन से कोई राहत नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के सोपोर में हाल में हुई मुठभेड़ का संदर्भ देते हुए इसने कहा कि 3 वर्षीय एक बच्चे के अपने दादा के शव पर बैठे होने की तस्वीरें हृदयविदारक हैं। यह मुठभेड़ तब हुई थी, जब आतंकवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टीम पर हमला कर दिया जिसमें 1 जवान शहीद हो गया और 1 बुजुर्ग आम नागरिक की मौत हो गई। इस बुजुर्ग के साथ उनका 3 वर्षीय पोता भी था जिसे बाद में सुरक्षाबलों ने गोलीबारी के बीच सुरक्षित निकाल लिया।
संपादकीय में कहा गया कि छोटा बच्चा भागा नहीं, बल्कि अपने दादा को जगाने की कोशिश कर रहा था। कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने अपने ट्विटर हैंडल पर तस्वीर ट्वीट की। इन मंत्रियों को समझना चाहिए कि यह तस्वीर केंद्र सरकार की विफलता साबित कर सकती है। आखिर घाटी में स्थिति की जिम्मेदारी सरकार की है।
इसमें कहा गया कि एक बच्चा यह नहीं जानता कि उसके दादा की मौत हो गई है और वह उसे जगाने की कोशिश करता है। इस तरह की तस्वीरें केवल सीरिया, मिस्र, सोमालिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में सामने आई हैं। शिवसेना ने कहा कि इस तस्वीर से देश और केंद्र सरकार की छवि को भी नुकसान हुआ है।
संपादकीय में पूछा गया कि जवानों ने बच्चे को बचा लिया लेकिन उसका भविष्य क्या है? क्या सरकार के पास कोई उत्तर है? शिवसेना के प्रकाशन में कहा गया कि केंद्र ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था, लेकिन आतंकी हमलों में जवान लगातार शहीद हो रहे हैं और विस्थापित कश्मीर पंडितों की कोई घर वापसी नहीं हो रही है। इसने कहा कि पिछले महीने आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित सरपंच की हत्या कर दी।
संपादकीय में पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताई गई। शिवसेना ने कहा कि पिछले 6 महीनों में कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं। यद्यपि हमारे जवानों ने अनेक आतंकवादियों का सफाया भी किया है, लेकिन शहीद सैनिकों की संख्या भी कम नहीं है। संपादकीय में मांग की गई कि सरकार को कश्मीर में अलगाववादियों तथा लद्दाख में चीनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। (भाषा)