लखनऊ। मुलायम सिंह यादव परिवार में मतभेद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उनके भाई शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार रात सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कैबिनेट के मंत्री पद से भी इस्तीफा सौंप दिया है। खबर है कि मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। अखिलेश ने भी इस्तीफा वापस लौटा दिया है। देर रात शिवपाल के घर पर 20 विधायक पहुंच चुके थे और शक्ति प्रदर्शन जारी था...
सूत्रों ने बताया कि शिवपाल ने दोनों पदों से इस्तीफा मुलायम को सौंपा है, जो आज शाम ही दिल्ली से लखनऊ पहुंचे और बीच बचाव का प्रयास किया। आगामी विधानसभा चुनावों पर इस घटनाक्रम का असर पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल की पत्नी सरला ने भी इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके बेटे आदित्य ने प्रादेशिक सहकारी फेडरेशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
मतभेद दूर करने के प्रयास में मुलायम लखनऊ पहुंचे और उन्होंने शिवपाल एवं अखिलेश से अलग-अलग मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि जैसे ही मुलायम लखनऊ पहुंचे, उन्होंने शिवपाल को बुलाकर बातचीत की। बाद में शिवपाल अखिलेश से उनके सरकारी आवास पर मिले। बताया जाता है कि शिवपाल और अखिलेश की मुलाकात मुलायम के कहने पर हुई। सूत्रों ने बताया कि तुरंत बाद मुलायम ने अपने बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश से मुलाकात की।
इससे पहले मुलायम के चचेरे भाई एवं सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने तर्क दिया था कि अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाना गैरइरादतन गलती थी। अखिलेश से मुलाकात करने के बाद राम गोपाल ने कहा था कि कुछ गलतफहमी की वजह से मतभेद पैदा हुए हैं। उन्होंने संकट के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया। उनका इशारा संभवत: अमर सिंह की ओर था जिन्होंने कई वर्ष बाद सपा में वापसी की है।
राम गोपाल ने कहा कि अखिलेश किसी से नाराज नहीं हैं और पार्टी में नेताजी (मुलायम) का फैसला अंतिम होता है। शिवपाल ने भी प्रेस कांफ्रेंस में यही बात कही है। मुख्यमंत्री ने शिवपाल से महत्वपूर्ण विभाग छीन लिएथे। इसके पहले शिवपाल को अखिलेश की जगह प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया था।
राम गोपाल ने संवाददाताओं से कहा कि कई बार छोटी बातों पर मतभेद हो सकते हैं लेकिन उनका हल हो सकता है। मुख्यमंत्री को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाना नेतृत्व की गलती थी हालांकि जान बूझ कर कोई गलती नहीं की गयी है।
पारिवारिक कलह के पीछे बाहरी तत्वों का हाथ होने की मुख्यमंत्री की दलील पर राम गोपाल ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और जनता में यही आम धारणा है। अमर सिंह को सपा से 2010 में निष्कासित कर दिया गया था। हाल ही में उन्होंने पार्टी में वापसी की है।
कैबिनेट मंत्री आजम खां ने भी कहा है कि यदि मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं तो वह सही होंगे क्योंकि वह जिम्मेदारी वाले पद पर हैं। हमें आशंका थी और इसी वजह से काला इतिहास रखने वाले ऐसे लोगों की वापसी पर हमने कडा विरोध किया था। उनका काम सिर्फ रिकाडि’ग और ब्लैकमेल करना है।
इस बीच पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई बाहरी है और वह हस्तक्षेप कर रहा है तो उसे तत्काल रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अखिलेश उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में सपा के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। अमरसिंह का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए राम गोपाल ने कहा कि मुलायम की सरलता की वजह से ऐसे लोग फायदा उठा रहे हैं, जिनका पार्टी के हित से कोई लेना देना नहीं है।
राम गोपाल ने कहा कि ऐसे लोग पार्टी का नुकसान कर रहे हैं। ‘मुझसे मिलने वाले सभी लोग ऐसा ही कह रहे हैं।’ राम गोपाल बोले, ‘यह वही व्यक्ति है, जिसने नेताजी की सरलता का फायदा उठाते हुए पार्टी का प्रभारी बनाया :शिवपाल को पूर्व में सपा का उत्तर प्रदेश प्रभारी बनाया गया था:। सपा में ऐसा कोई पद नहीं है .. पार्टी में ऐसा कोई नहीं है जो नेता जी को चुनौती दे सके।’
शिवपाल ने हालांकि अमर सिंह का बचाव करते हुए कहा कि संगठन हर किसी को साथ लेकर चलने से ही मजबूत होता है। अमरसिंह से सपा नेताओं की नाराजगी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर चलने से संगठन मजबूत होता है। पार्टी में हर तरह के लोग हैं। आपको अपना दिमाग भी लगाना होता है।
शिवपाल को जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई, उसके विरोध के बीच उन्होंने कहा कि वह 2011 में भी प्रदेश अध्यक्ष थे और अब नेताजी ने उन्हें एक बार फिर ये जिम्मेदारी सौंपी है। नेताजी जो कहते हैं, उनकी बात का उल्लंघन करने की क्षमता किसी में नहीं है।
शिवपाल की ये टिप्पणी राम गोपाल के इस बयान के बाद आई, जिसमें राम गोपाल ने कहा कि अखिलेश से इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए था और वह अपना इस्तीफा सौंप भी देते। अखिलेश से कहा जाना चाहिए था कि चुनाव आने वाले हैं इसलिए आप मुख्यमंत्री पद पर बने रहें और प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी शिवपाल संभालेंगे।
समाजवादी पार्टी में नाटकीय मोड़ जारी है जबकि शिवपाल अपने इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। देर रात शिवपाल के घर पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा शुरू हो गया था और नारेबाजी जारी थी। यहां पर बड़ी संख्या में जमा शिवपाल समर्थक संघर्ष जारी रखने के नारे लगा रहे हैं।
दूसरी तरफ शिवपाल के घर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आवास महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। अखिलेश के निवास पर सन्नाटा पसरा हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि शुक्रवार की सुबह मुलायम सिंह इस पूरे मुद्दे पर अखिलेश यादव से बात करेंगे। वे कल समाजवादी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता भी करेंगे। (भाषा/वेबदुनिया)