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शिवराज यदि साहस हो तो मुझ पर कार्रवाई करो : दिग्गी

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हमें फॉलो करें दिग्विजय सिंह
भोपाल , मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015 (18:45 IST)
भोपाल। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनौती दी है कि यदि साहस हो तो मुझ पर कार्रवाई करो।
दिग्विजय सिंह ने ट्‍विटर पर ताजा ट्‍वीट करके मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को ललकारा है। इसके पूर्व सोमवार को कांग्रेस महासचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवराज सिंह पर यह आरोप लगाया था कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में वे शामिल हैं और उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

इसी बीच यह भी खबर मिली है कि शिवराज सिंह ने अपने सभी मंत्रियों को मंगलवार की शाम को अपने आवास पर बुलाया है ताकि कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया जा सके।
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हालांकि वे सोमवार की रात को ही आरोपों से इनकार कर चुके हैं कि अभी यह मामला न्यायालय में है। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से भी इनकार कर दिया था।

शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार को बचाने के लिए मूल ‘एक्सल शीट’ के साथ छेड़छाड़   : उल्लेखनीय है कि व्यापमं के कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इसकी जांच कर रही एसटीएफ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार को बचाने के लिए मूल ‘एक्सल शीट’ के साथ छेड़छाड़ की है। कांग्रेस ने इस मामले में मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग भी की है।
 
कांग्रेस महासचि ने सोमवार को यहां व्यापमं के कथित घोटाले की एसटीएफ द्वारा की जा रही जांच की निगरानी कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के सामने शपथ पत्र देकर कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए। व्यापमं द्वारा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ कई सरकारी नौकरियों के लिए भी चयन परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं।
 
एसआईटी के सामने पेश होने और शपथ पत्र देने के बाद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी तथा प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मूल ‘एक्सल शीट’ के साथ छेड़छाड़ की गई है।
 
उन्होंने मांग की कि इस घोटाले की जांच जिस एजेंसी के हाथ में है, वह मुख्यमंत्री के ही अधीन है। इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए अथवा मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद यही जांच एजेंसी जांच करे।
 
इस बीच, प्रदेश के संसदीय कार्य, कानून एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को ‘बेबुनियाद एवं असत्य’ बताते हुए कहा है कि पहले विधानसभा, लोकसभा और अब नगर निकाय एवं पंचायत चुनावों में कांग्रेस की करारी पराजय के कारण ये चौहान की छवि खराब करने के उद्देश्य से लगाए है।
 
सिंह ने कहा, ‘एसआईटी के सामने उपस्थित होकर आज मैंने शपथ पत्र के साथ कहा है कि वह (सिंह) ‘डिलीट’ किए गए डाटा से प्राप्त की गई मूल ‘एक्सल शीट’ शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें 131 सरल क्रमांक हैं और उसमें 48 स्थानों पर ‘सीएम’ लिखा हुआ है। 
 
जांच एजेंसियों ने उसमें हेरफेर की एवं 21 स्थानों पर ‘सीएम’ को बदलकर ‘मिनिस्टर’ कर दिया। एक स्थान पर ‘एमएस’ कर दिया और सात स्थानों पर ‘उमा भारती जी’ कर दिया। 
 
इसके बाद 18 स्थानों पर ‘सीएम’ हटाकर उन स्थानों को खाली छोड़ दिया गया।’ अपने आरोपों को बल देने के लिए कांग्रेस नेता, साथ में उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी एवं विवेक तन्खा को संवाददाता सम्मेलन में लेकर आए थे।
 
तुलसी ने व्यापमं घोटाले की तुलना अमेरिका के कुख्यात वाटरगेट कांड से करते हुए कहा, ‘अदालत की नजर में सबूतों से छेड़छाड़ करना हत्या और डकैती जैसे अपराधों से भी गंभीर अपराध है और मुझे विश्वास है कि इस मामले में मुख्यमंत्री को सजा होगी।’
 
तुलसी एवं तन्खा ने कहा कि व्यापमं से संबंधित सरकारी विभाग के तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को ‘बलि का बकरा‘ बनाया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया, ‘‘एक्सल शीट में ‘मिनिस्टर’ के उल्लेख की वजह से एसटीएफ ने तत्कालीन विभागीय मंत्री शर्मा को ‘बलि का बकरा’ बनाकर आरोपी बना दिया है।’
 
वरिष्ठ वकील तुलसी एवं तन्खा ने कहा, ‘एक ही मंत्री को फंसाने के लिए एसटीएफ ने एक्सल शीट में उल्लेखित ‘मिनिस्टर-2’, ‘मिनिस्टर-3’ और ‘मिनिस्टर-4’ को हटाकर केवल ‘मिनिस्टर’ कर दिया और यह छिपा लिया कि बाकी मिनिस्टर कौन थे।’ 
 
एक प्रश्न के उत्तर में दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘यदि उनके शपथपत्र में उल्लेखित तथ्य एवं आरोप गलत हैं, तो यह सरकार उन पर मुकदमा करे, वरना मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा दें।’ सिंह द्वारा अपने आपको मुकदमे के लिए प्रस्तुत करने को लेकर पूछने पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ. मिश्र ने कहा, ‘सरकार इस पर विचार करेगी।’ 
 
गौरतलब है कि व्यापमं घोटाला जुलाई 2013 में उस समय सामने आया था, जब इंदौर पुलिस ने व्यापमं द्वारा आयोजित ‘प्री मेडिकल टेस्ट’ (पीएमटी) में वास्तविक परिक्षार्थियों की जगह कुछ ‘मुन्नाभाइयों’ को गिरफ्तार किया था।
 
इसके बाद सरकार ने इस मामले की व्यापक जांच राज्य पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंप दी थी। जांच के दौरान पता चला कि इस घोटाले में अन्य परीक्षाएं, जिसमें संविदा शिक्षक भर्ती, पुलिस आरक्षक भर्ती, परिवहन निरीक्षक भर्ती आदि परीक्षाओं में भी फर्जीवाड़ा हुआ है।
 
मामले में शुरुआत से ही कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग करती आई है और इस सिलसिले में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की थी, जिसके खारिज होने के बाद वह उच्चतम न्यायालय की शरण में गए थे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली। 
 
हालांकि उच्चतम न्यायालय ने उनकी अपील खारिज करते हुए मामले की जांच एसआईटी गठित कर उसकी देखरेख में एसटीएफ की जांच जारी रखने के निर्देश दिए थे।
 
दिग्विजय सिंह ने आज एसआईटी के सामने अपने वकीलों के साथ उपस्थित होकर उसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) चंद्रेश भूषण को अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया। 
 
इसमें उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को इस निष्कर्ष के आधार पर जेल भेजा गया है कि ‘एक्सल शीट’ में उल्लेखित ‘मिनिस्टर’ वही हैं। यदि यही तर्क ‘सीएम’ को लेकर लागू किया जाए, तो सिर्फ ‘चीफ मिनिस्टर’ शिवराज सिंह चौहान के विरुद्ध भी समान अपराध के लिए प्रकरण दर्ज होना चाहिए। (वेबदुनिया/भाषा) 

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