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सिंहस्थ में 1 लाख नागा साधु शिप्रा में डुबकी लगाएंगे

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, शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016 (17:35 IST)
उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरु होने वालें सिंहस्थ महाकुंभ पर्व के दौरान शैव सम्प्रदाय के पंचायती निरंजनी अखाडे के करीब एक लाख नागा साधु इस बार शाही स्नानों के दिन मोक्षदायिनी शिप्रा में डुबकी लगाएंगे। 
इस अखाड़े के व्यवस्थापक रवींद्रपुरी ने आज बताया कि अखाड़े की धर्मध्वजा पूजन 8 अप्रैल और पेशवाई 11 अप्रैल को निकलेगी। सनातन धर्म की रक्षा के लिए नागा अखाड़ों की स्थापना की गई। इस अखाड़े के साधु जटाधारी और भस्मी लगाकर भगवान शिव की उपासना करते है। संन्यासी बनने की कोई आयु नहीं होती। आदि शंकराचार्य ने छह साल की उम्र में सन्यास ग्रहण किया था और उन्होंने निरंजनी, जूना, निर्वाणी, आव्हान, आनन्द, अटल और अग्नि अखाड़े की स्थापना की थी।
            
उन्होने बताया कि पंचायती निरंजनी अखाड़ों के नागा साधुओं की दीक्षा विजय हवन संस्कार से होती है। नागा साधु बनने से पहले व्यक्ति अपने पूर्वजों और खुद का पिंड दान करता है। इसके बाद ही दीक्षा मिलती है। इसके अलावा उसे अपने परिवार के किसी भी व्यक्ति से संबंध रखने की अनुमति है और इस मर्यादा का पालन नही करने वाले साधु को अखाड़े से बाहर कर दिया जाता है। 
            
उन्होने इस अखाड़े के प्रबंधन पर रोशनी डालते हुए बताया कि सिंहस्थ के लिए 8 महंत, 10 उप महंत एवं कार्यकारिणी चुनी जाती है, जो कुंभ के लिए प्रबंधन की सभी कार्यवाही करते हैं। वर्तमान में मेरे अलावा दिनेश गिरी, प्रेमगिरी, डोंगर गिरी, नरेंद्र गिरी आदि शामिल हैं। 
 
इस अखाड़े की स्थापना आदि शंकराचार्य ने 828 में की गई थी। वर्तमान में इस अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी पुण्यानंद गिरी हैं। रामानंद पुरी, मेला अध्यक्ष हैं। जबकि महंत नरेंद्र गिरी, महंत लालता गिरी, आशीष गिरी सचिव हैं।
            
उन्होंने बताया कि इस अखाड़े का उदेश्य वास्तव में हिंदू धर्म की रक्षा करने के अलावा सनातन धर्म की शिक्षा को बनाए रखना है। इसके लिए हरिद्वार में एस.एम.जे.एन. पी.जी. कॉलेज संचालित है, जिसमें करीब 10 हजार विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है। हरिद्वार में संस्कृत विद्यालय भी संचालित किया जा रहा है, जिसमें गरीब परिवारों के सभी वर्गों के बच्चे बचपन से ही प्राप्त कर रहे हैं। (वार्ता)

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