कटड़ा-वैष्णोदेवी (जम्मू कश्मीर)। अगर आप एक पंथ-दो काज अर्थात बर्फीली चोटियों की सैर और मां भगवती के दर्शनों की इच्छा रखते हैं तो वैष्णोदेवी के दरबार में चले आइए। बर्फ की सफेद चादर से ढंकी त्रिकुटा पर्वत की चोटियां ही नहीं यात्रा मार्ग में अनेकों स्थानों पर जमे दो से तीन फुट के बर्फ के ढेर भी पुकार रहे हैं। कई सालों के बाद त्रिकुटा पर्वत और उसके आसपास के इलाकों में ऐसा नजारा देखने को मिला है। कहने को तो कटड़ा के बेस कैंप में बाणगंगा के इलाके में भी बर्फ की हल्की चादर रात को बिछ गई थी।
बर्फबारी का आनंद उठाने वाले श्रद्धालु विभिन्न जगह पर फंस भी गए थे क्योंकि बर्फबारी वाले दिन यात्रा हिचकोले खाती रही थी क्योंकि बर्फ के ढेरों ने फिसलन पैदा कर दी थी। भैरो घाटी में तो 3-4 फुट की बर्फ ने श्राइन बोर्ड प्रशासन को मजबूर कर दिया कि वह रास्ते को बंद कर दें क्योंकि भूस्खलन और चट्टानें गिरने का खतरा बढ़ गया था।
इस बर्फबारी के बाद हालात चाहे कुछ भी हों, मन में बर्फ के नजारे देखने और मां भगवती के दर्शन करने की इच्छा लेकर आने वालों की कमी नहीं है। श्राइन बोर्ड ने लोगों से वैष्णोदेवी की यात्रा में शामिल होने से रोका नहीं है, क्योंकि वह जानता है कि अकेले कटड़ा कस्बे में 30 से 40 हजार लोगों को सिर छुपाने की जगह देने की कुव्वत है।
नतीजतन त्रिकुटा पर्वत पर स्थित माता वैष्णोदेवी के दरबार में हाजिरी लगाकर बर्फ का आनंद उठाने वालों के तांते को देखते हुए श्राइन बोर्ड में भी भक्ति जागी तो उसने अब माता की पुरानी गुफा को सारा दिन खुला रखने पर विचार करना आरंभ किया है। याद रहे कि माता की यात्रा की कथा के मुताबिक, इसी गुफा से होकर मां की पिंडियों के किए गए दर्शन फल देते हैं।
यही कारण है कि वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए बोर्ड प्रशासन यात्रा कम होने पर प्राचीन गुफा के द्वार खोल देता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी श्राइन बोर्ड प्रशासन ने वैष्णोदेवी की प्राचीन गुफा के द्वार दिन में श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोलने की घोषणा तब की थी जब यात्रा में भारी गिरावट आई थी।
इस संबंध में श्राइन बोर्ड प्रशासन का कहना है कि इन दिनों सिर्फ 12-14 हजार श्रद्धालु ही माता वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए आ रहे हैं। इसी कारण प्राचीन गुफा के द्वार खोले जाने का विचार हो रहा है। प्राचीन गुफा के द्वार खुलने से जहां श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होगी, वहीं भविष्य में यात्रा बढ़ने की संभावनाएं बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि वैष्णोदेवी की प्राचीन गुफा का एक अलग महत्व है। हर श्रद्धालु की इच्छा रहती है कि उसे जीवन में एक बार ही सही, इस प्राचीन गुफा के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो।