Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बर्फ का नजारा और भगवती दर्शन की है इच्छा तो चले आइए वैष्णो देवी के दरबार में

हमें फॉलो करें बर्फ का नजारा और भगवती दर्शन की है इच्छा तो चले आइए वैष्णो देवी के दरबार में
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

जम्मू। माता वैष्णो देवी के भवन पर देर शाम मौसम का पहला हिमपात हुआ है। त्रिकुटा पर्वत पर डेढ़ फीट, भैरव घाटी में एक फीट, भवन पर 5 इंच व सांझीछत पर 3 से 4 इंच बर्फ रिकॉर्ड की गई। देर रात तक बर्फबारी का सिलसिला जारी रहा और यात्रा सुचारू रूप से चलती रही। हिमपात से देशभर से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं के चेहरे खिल गए। वहीं पत्नीटॉप और नत्थाटॉप में भी खूब बर्फबारी हुई।
 
कटरा में पहाड़ों पर भारी बर्फबारी हुई, जबकि निचले इलाकों में बारिश जारी है। त्रिकुटा पर्वत पर इस मौसम में पहली बार हिमपात हुआ है। इसके चलते समूचा प्रदेश ठंड से कांप रहा है। बर्फबारी का आम जनजीवन पर भी व्यापक असर पड़ा है। इस बर्फबारी से माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आए भक्त काफी उत्साहित दिखे।
 
त्रिकुटा की पहाड़ियों पर बारिश और धुंध के कारण कटरा-सांझीछत चॉपर सेवा प्रभावित हुई है। वहीं जवाहर टनल पर भारी बर्फबारी के कारण जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद करना पड़ा। ऐसे में अगर आप एक पंथ दो काज अर्थात बर्फीली चोटियों की सैर और मां भगवती के दर्शनों की इच्छा रखते हैं तो वैष्णो देवी के दरबार में चले आइए। बर्फ की सफेद चादर से ढंकी त्रिकुटा पर्वत की चोटियां ही नहीं यात्रा मार्ग में अनेकों स्थानों पर जमे एक से 2 फुट के बर्फ के ढेर भी पुकार रहे हैं।
webdunia
एक बार फिर से त्रिकुटा पर्वत और उसके आसपास के इलाकों में ऐसा नजारा देखने को मिला है। बर्फबारी का आनंद उठाने वाले श्रद्धालु विभिन्न जगह पर फंस भी गए थे क्योंकि बर्फबारी वाले दिन यात्रा हिचकोले खाती रही थी क्योंकि बर्फ के ढेरों ने फिसलन पैदा कर दी थी। भैरों घाटी में तो 1.2 फुट की बर्फ ने श्राइन बोर्ड प्रशासन को मजबूर कर दिया था कि वह रास्ते को बंद कर दें क्योंकि भूस्खलन और चट्टानें गिरने का खतरा बढ़ गया था।
 
इस बर्फबारी के बाद हालात चाहे कुछ भी हों, मन में बर्फ के नजारे देखने और मां भगवती के दर्शन करने की इच्छा लेकर आने वालों की कमी नहीं है। श्राइन बोर्ड ने लोगों से वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल होने से रोका नहीं है क्योंकि वह जानता है कि अकेले कटरा कस्बे में 30 से 40 हजार लोगों को सिर छुपाने की जगह देने की कुव्वत है।
 
नतीजतन त्रिकुटा पर्वत पर स्थित माता वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी लगा कर बर्फ का आंनद उठाने वालों के तांते को देखते हुए श्राइन बोर्ड में भी भक्ति जागी तो उसने अब माता की पुरानी गुफा को खोलने के प्रति फैसला लेने को बैठक बुलाई है। सनद रहे कि माता की यात्रा की कथा के मुताबिक, इसी गुफा से होकर मां की पिंडियों के किए गए दर्शन फल देते हैं।
webdunia
यही कारण है कि वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए बोर्ड प्रशासन यात्रा कम होने पर प्राचीन गुफा के द्वार खोल देता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी श्राइन बोर्ड प्रशासन ने वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा के द्वार दिन में श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोलने की घोषणा तब की थी, जब यात्रा में भारी गिरावट आई थी।
 
इस संबंध में श्राइन बोर्ड प्रशासन का कहना है कि इन दिनों सिर्फ 10-12 हजार श्रद्धालु ही माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आ रहे हैं। इसी कारण प्राचीन गुफा के द्वार खोलने के प्रति फैसला लेने को बठक बुलाई गई है। प्राचीन गुफा के द्वार खुलने से जहां श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होंगी, वहीं भविष्य में यात्रियों के बढ़ने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
 
दरअसल हर श्रद्धालु की इच्छा रहती है कि उसे जीवन में एक बार ही सही, इस प्राचीन गुफा के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो। गौरतलब है कि वैष्णवी की प्राचीन गुफा का अपना महत्व है क्योंकि जब भैरव नाथ मां वैष्णो देवी जी को पाने के लिए पीछा करता हुआ प्राचीन गुफा के समक्ष पहुंचा तो मां वैष्णो देवी जी ने भैरवनाथ का वध किया था, जिससे भैरव नाथ का सिर भैरव घाटी में जा गिरा था तथा शरीर गुफा के समक्ष पत्थर की शिला में बदल गया। इसके बाद मां वैष्णो देवी जी ने भैरव नाथ को वर दिया था कि जो भी श्रद्धालु उसके चरणों में तुम्हारे शरीर से होकर पहुंचेगा, उसकी यात्रा सफल होने के साथ ही मन की मुराद पूरी होगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

उड़ते विमान में डॉक्टर ने पेशाब चूसकर बचाई यात्री की जान