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अनंतनाग के बाद अब टलेंगे पंचायत चुनाव

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के लिए उपचुनाव टल चुके हैं। ऐसा श्रीनगर-बडगाम संसदीय क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद हुआ और अब पंचायत चुनाव भी टाले जाने की तैयारी की जा चुकी है। दरअसल संसदीय चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया एक दिन की होती है पर पंचायत चुनावों के लिए यह लंबी प्रक्रिया होती है जिसमें इस बार व्यापक हिंसा होने की आशंका है।
 
श्रीनगर संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में हिंसा के बाद अब पंचायत चुनाव करवाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। फाइनल मतदाता सूचियां भी 15 अप्रैल को जारी कर दी जाएंगी। उपचुनाव में हिंसा के बाद पीडीपी ने अनंतनाग उपचुनाव टालने की मांग की थी।
 
संसदीय उपचुनाव का शेड्यूल मात्र एक दिन का था, लेकिन पंचायत चुनावों का शेड्यूल काफी लंबा होता है। दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तैनाती के बीच चुनाव करवाए जाते हैं। कश्मीर के हालात को देखते हुए कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखना चुनौती बना हुआ है। अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो पंचायत चुनाव करवाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। पंचायती चुनावों का टलना तय है।
 
जम्मू कश्मीर में परिसीमन के बाद 280 नई पंचायतें अस्तित्व में आई हैं और उनकी कुल संख्या 4378 हो गई हैं। वर्ष 2011 में 4098 पंचायतों के लिए चुनाव हुए थे। हदबंदी के बाद चार हजार नए पंच भी बनेंगे, जिनकी कुल संख्या 33402 हो जाएगी। पंचायतों का पांच वर्ष का कार्यकाल 16 जून 2016 को समाप्त हो गया था। उसके बाद से चुनाव टलते रहे हैं क्योंकि पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी करना था।
 
दूसरा, कश्मीर में करीब पांच महीने तक हालात पूरी तरह खराब रहे। वहीं अमरनाथ यात्रा भी 29 जून से शुरू हो रही है। सरकार व चुनाव आयोग की कोशिश है कि मई में ही चुनाव करवाए जाएं। इस दौरान जम्मू से दरबार कश्मीर मूव कर जाएगा। संसदीय उपचुनाव भी इसलिए टलते रहे क्योंकि सरकार कानून व्यवस्था का हवाला देती रही।
 
श्रीनगर संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में हिंसा से यह साफ हो चुका है कि हालात सामान्य नहीं हैं। शरारती तत्व चुनावों में खलल डालने की कोशिशें जारी रखे हुए हैं। पांच वर्ष पहले हुए पंचायत चुनाव के बाद 16 पंचायत प्रतिनिधि मारे जा चुके हैं। पिछले चुनावों के बाद आतंकी गुटों ने पंचायत प्रतिनिधियों पर हमले किए थे।
 
दरअसल, अनंतनाग सीट पर पीडीपी उम्मीदवार तसद्दुक ने भी कहा था कि कश्मीर में हालात किसी भी तरह से चुनाव लायक नहीं हैं। श्रीनगर सीट के मतदान के दौरान पैदा हुए हालात ने यही साबित किया है। सिनेमा जगत से सियासत में आए तसद्दुक मुख्यमंत्री महबूबा के छोटे भाई हैं।
 
अनंतनाग संसदीय सीट महबूबा के इस्तीफे से ही खाली हुई है। बहन के उत्तराधिकारी के तौर पर पीडीपी टिकट पर अनंतनाग से चुनाव लड़ रहे तसद्दुक ने कहा कि हमारी पार्टी ने चुनाव स्थगित करने के लिए लिखित आग्रह केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजा था, जिसे मंजूर कर लिया गया। उन्होंने तो यहां तक कह डाला था कि अगर चुनावी दौड़ से मेरे बाहर होने से चुनाव स्थगित होता है तो मैं अपना नाम वापस लेने को तैयार हूं। मैं ऐसे चुनाव के हक में नहीं हूं जिसमें मासूमों का खून बहा हो।
 
उन्‍होंने रविवार को श्रीनगर-बडगाम संसदीय सीट के उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा में आठ युवकों की मौत व 200 से ज्यादा लोगों के जख्मी होने पर दुख जताते हुए कहा कि लोकतंत्र की इमारत किसी की लाश पर नहीं बननी चाहिए। तसद्दुक ने कहा कि राज्य सरकार को पहले से ही चुनाव के दौरान हालात बिगड़ने का अंदेशा था। राज्य सरकार ने इस बारे में केंद्र और चुनाव आयोग को पहले ही आगाह किया था। हमारी बात किसी ने नहीं सुनी। गौरतलब है कि सियासत में कदम रख रहे तसद्दुक का पहला चुनावी सामना कांग्रेस और नेकां के साझा उम्मीदवार प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर से हो रहा है।

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