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स्वामी चिन्मयानंद की 101 वीं जन्मतिथि

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स्वामी चिन्मयानंद का जन्म केरल के एक संभ्रांत परिवार में 1916 को हुआ था।  उनके पिता कुट्टू मेनन जिला न्यायधीश थे। उनके जन्म के बाद उनकी माता का देहांत हो गया। स्नातक तक की पढ़ाई उन्होंने संत थॉमस कॉलेज, त्रिचूर से की। स्नातकोत्तर डिग्री उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान और कानून में ली, इसके साथ-साथ उन्होंने पत्रकारिता में भी कोर्स पूरा किया।  
 
जीवन के इस पड़ाव पर स्वामी चिन्मयानंद जिनका असली नाम बालन मेनन था, को भगवान और धर्म पर कोई विशेष श्रद्धा नहीं थी। "द नेशनल हेराल्ड" में उनको पत्रकार की नौकरी रामा राओ ने दी। उन्होंने समाजवाद की आवश्यकता पर कई आलेख लिखे हैं। इसके अलावा उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक विषयों  पर कई आलेख लिखे।  
 
परकारिता के दौरान उन्होंने साधुओं के बारे में खुलासा करने के उद्देश्य से एक आलेख लिखा। इसी उद्देश्य से वो स्वामी शिवानंद जी के आश्रम ऋषिकेश गए। 1947 की गर्मी में बालन ऋषिकेश गए। वहां एक संदेहवादी से एक उत्साहवादी, फिर सन्यासी के रूप में बालन का नया जन्म हुआ। 25 फरवरी 1949 को बालन को स्वामी शिवानंद जी ने सन्यास की दीक्षा दी और "स्वामी चिन्मयानंद" नाम दिया।  
 
स्वामी चिन्मयानंद ने "गीता ज्ञान यज्ञ" और वेद के ज्ञान द्वारा आम जनता के बीच सनातन हिन्दू धर्म को फिर से जिंदा किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा का उपयोग करके जन-जन तक गीता, वेद हिन्दू शास्त्रों के ज्ञान को पहुंचाया। आज विश्व भर में 300 से अधिक चिन्मया मिशन के सेंटर हैं, जो लोगों की सेवा में दिन रात लगे हैं हिन्दू धर्म और शास्त्र का सही अर्थ समझाने में।
  
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इस माह स्वामी चिन्मयानंद की 101वीं जन्म तिथि पर दिल्ली स्थित चिन्मयानंद मिशन में उनकी पूजा अर्चना द्वारा उनके महान योगदान को याद किया गया। इसके अलावा सफदर जंग फ्लाई ओवर के नीचे आंखों की चिकित्सा से जुड़े एक कैंप का आयोजन किया गया, जहां 205 गरीब लोगों की आंखों की का इलाज किया गया। इस चिकित्सा कैंप का उदघाटन दिल्ली मिशन के स्वामी परक्रशानंद ने किया।
माधवीश्री

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