Tamil Nadu News : मद्रास उच्च न्यायालय ने अपहरण के एक मामले में एडीजीपी रैंक के एक अधिकारी को गिरफ्तार करने का तमिलनाडु पुलिस को सोमवार को मौखिक रूप से निर्देश दिया और कुछ ही मिनटों बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। न्यायमूर्ति पी. वेलमुरुगन ने यह निर्देश विधायक एम. जगन मूर्ति द्वारा दायर एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिन्हें मामले में गिरफ्तारी की आशंका थी। वह किल्वैथिनंकुप्पम (आरक्षित) सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक संगठन के प्रमुख हैं।
सहायक पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एचएम जयराम को अदालत भवन से बाहर आते ही गिरफ्तार कर लिया गया। न्यायाधीश ने विधायक को भी फटकार लगाई। सोमवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो न्यायाधीश ने पुथिया भारतम काची के नेता मूर्ति और एडीजीपी जयराम को मौखिक रूप से दोपहर में अदालत में पेश होने के लिए सम्मन किया। तदनुसार दोनों अदालत में पेश हुए। जयराम की सरकारी कार का अपहरण के लिए इस्तेमाल किया गया था।
न्यायाधीश ने जगन मूर्ति से पूछा कि विधायक बनने के लिए उन्हें कितने वोट मिले थे। मूर्ति ने जवाब दिया कि उन्हें करीब 80,000 वोट मिले थे और वे 10,000 मतों के अंतर से जीते थे। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि लोगों ने उनके पक्ष में वोट उनकी सेवा करने के लिए दिया था, न कि अवैध अदालतें (कंगारू कोर्ट) लगाने के लिए।
उन्होंने मूर्ति से कहा कि वह विधानसभा में जाएं और जनता की समस्याओं को सदन में उठाएं तथा उनका समाधान करने का प्रयास करें। न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा, आप न केवल उन लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्होंने आपको वोट दिया है, बल्कि आप पूरे निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
अदालत ने कहा कि अगर कोई आम आदमी किसी शिकायत के साथ विधायक के पास आता है, तो उन्हें उनकी मदद करने की कोशिश करनी चाहिए। अतिरिक्त लोक अभियोजक की इस दलील की ओर इशारा करते हुए कि जब पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए बुलाने गई, तो करीब 2,000 लोगों ने उनके घर को घेर लिया, न्यायाधीश ने कहा कि यह ठीक नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा, आप अपने साथ इतने लोग क्यों चाहते हैं। आप विधायक हैं। आप घबरा क्यों रहे हैं। न्यायाधीश ने विधायक से पूछताछ में सहयोग करने को कहा। न्यायाधीश ने ये टिप्पणियां मौखिक रूप से कीं। अदालत ने पुलिस को एडीजीपी जयराम को गिरफ्तार करने का निर्देश भी दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि विधायक और पुलिस की बराबरी नहीं की जा सकती, क्योंकि पुलिस एक लोक सेवक है। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत सभी लोक सेवकों को संदेश देना चाहती है। न्यायाधीश ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा कि चूंकि दो आरोपियों ने एडीजीपी के खिलाफ इकबालिया बयान दिया है, इसलिए उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई 26 जून को निर्धारित की। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour