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अनंतनाग में आतंक के चलते चुनावी माहौल गायब

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। अनंतनाग और श्रीनगर लोकसभा सीटों के लिए अगले महीने उपचुनाव से पहले दक्षिण कश्मीर के अधिकांश गांवों के अंदर राजनीतिक गतिविधियां और चुनाव माहौल जमीनी स्तर पर लगभग गायब है। इस क्षेत्र में हिंसा की आशंका के चलते अधिकांश राजनीतिक पार्टियां स्वतंत्र रूप से चुनाव प्रचार करने में असमर्थ हैं और सुरक्षा के भय के कारण लोग भी राजनीतिक गतिविधियों में बेहद कम शामिल हो रहे हैं।
 
अनंतनाग शहर के एक निवासी फिरदोस अहमद डार ने कहा कि वह दक्षिण कश्मीर के किसी भी जिले में किसी भी प्रमुख राजनीतिक नेता को जनसभा का आयोजन करते नही देख रहे हैं। वह सिर्फ डाक बंगलों और जिला पार्टी मुख्यालयों में पार्टी कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं। चुनाव का माहौल गायब है। ऐसा युवकों जो इस बार बेहद गुस्से में हैं से हिंसा के खतरे की वजह से हो रहा है।
 
अगले महीने 8 और 12 अप्रैल को चुनाव से पहले सिर्फ तीन सप्‍ताह बचे हैं लेकिन दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, शोपियां और यहां तक कि अनंतनाग में किसी भी राजनीतिक पार्टी ने पूर्ण तौर पर चुनाव प्रचार शुरू किया है। पिछले साल 7 जुलाई को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद इन चार जिलों में सबसे ज्यादा अशांति रही।
 
कुछ दिनों पहले पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि यह तथ्य कि दक्षिण कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो एक सच्चाई है। उमर ने कहा था कि हमने अभी तक चुनाव प्रचार शुरू नहीं किया। नेकां और कांग्रेस दोनों पार्टियां राज्यभर में कम स्तरीय राजनीतिक बैठकों और गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं। 
 
नेकां और कांग्रेस की चिंता यह है कि सुरक्षा के अभाव के कारण चुनाव प्रचार कैसे करें। हालांकि दक्षिण कश्मीर में कानून व्यवस्था स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ों की संख्या में वृद्धि और मुठभेड़ों के बाद हिंसा ने दक्षिण कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया को लेकर माहौल फिर कठिन हो गया है।
 
दक्षिण कश्मीर में चुनावों के दौरान शांति तथा कानून व्यवस्था बिगाड़ने के लिए फर्जी रिपोर्ट और अफवाहें फैलाने के बाद पुलिस ने बड़े पैमाने पर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने कहा कि अभी तक ऐसे 30 व्हाट्सएप ग्रुप, जो फर्जी खबर और अफवाहें, वाइस नोटों को वायरल कर अराजकता फैला रहे हैं, की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्हाट्सएप ग्रुपों का उपयोग करने वाले कुल 65 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें से 11 ग्रुप एडमिनिस्ट्रेटर और 54 ग्रुप सदस्य हैं।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ ऐसे ग्रुपों की पहचान भी की गई है जिनके विदेशी एडमिनिस्ट्रेटर और सदस्य हैं। वहीं वीडियोग्राफी और अन्य माध्यमों से उचित और सत्यापन के बाद कुल 72 लोगों को पत्थरबाजी और दंगों के लिए हिरासत में लिया गया है। इनमें से 39 लोगों को विभिन्न एफआईआर के तहत बुक किया गया है, जबकि 33 लोगों को परामर्श के बाद रिहा कर दिया गया है।
 
इसके अलावा कुल 18 ओजीडब्‍ल्‍यू को भी हिरासत में ले लिया गया है और नागरिकों और सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हालिया आतंकी हमलों के बारे में पूछताछ की जा रही है। अधिकारी ने कहा कि आगे की जांच जारी है और आने वाले दिनों में और अधिक लोगों की गिरफ्तारी की उम्मीद है।

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