गरियाबंद। जिस मां का परिवार ने अंतिम संस्कार कर दिया हो, अगर 8 साल बाद वह सकुशल वापस लौट आए तो इससे ज्यादा खुशी की क्या बात हो सकती है। कुछ ऐसा ही मामला है छत्तीसगढ़ में गरियाबंद के गोहेकेला के रहने वाले बलभद्र नागेश के परिवार का...
दरअसल गोहेकेला निवासी बलभद्र नागेश की मनोरोग से पीड़ित 65 वर्षीय मां 8 साल पहले 2013 में घर से अचानक लापता हो गई थी। उसके बाद घर वापस नहीं लौटी। परिजनों ने मां मरुवा बाई को ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला।
इसी बीच बलभद्र को सोशल मीडिया के जरिए एक वीडियो मिला, जिसमें दिख रही महिला के मां होने की संभावना होने पर बलभद्र लापता मां को वापस लेने के लिए परिवार बताए गए गांव पहुंचा और उन्हें साथ लेकर गुरुवार को गांव लौट आया। अब घर में भारी संख्या में लोग उनका हालचाल जानने के लिए आ रहे हैं।
हालांकि बलभद्र नागेश और उसका परिवार मां के लौटने पर जितना खुश है, उतना ही अंदर से दुखी भी है। दरअसल परिवार के सामने पिछले साल ऐसी विषम परिस्थिति आकर खड़ी हो गई कि परिवार को मां के जीते जी अंतिम संस्कार करना पड़ा। उन्हें अपनी बेटी का 'बालिका व्रत विवाह' (कोणाबेरा) कार्यक्रम संपन्न करना था। यह रस्म समाज के लोगों और रिश्तेदारों की मौजूदगी में आयोजित की जाती है।
जब उसने समाज के लोगों को इस कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दिया तो लोगों ने कहा, पहले अपनी मां का अंतिम क्रियाकर्म करो उसके बाद ही 'बालिका व्रत विवाह' में शामिल होंगे। जिसके बाद बलभद्र नागेश को मजबूर होकर अपनी मां का अंतिम क्रियाकर्म करना पड़ा। इस बात का उन्हें आज भी मलाल है।