लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अब ग्रामीण महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और आत्मनिर्भर होने की मिसाल पेश कर रही हैं। ऐसी ही कुछ कानपुर देहात की महिलाएं भी सोलर लैंप तैयार करके न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि घर पर पढ़ाई कर रहे छात्रों के जीवन में उजाले की किरण फैला रही हैं।उनके इस कार्य की सराहना पूरे जिले में हो रही है। महिलाएं भी इन महिलाओं से मिलकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रही हैं।
सीएसआर फंड की मदद से अनोखी पहल को किया साकार : कानपुर देहात का परौंख गांव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पैतृक गांव है। यहां की महिलाएं गांवों में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों की दुनिया को सजाने, उनमें शिक्षा की अलख जगाने और गांव-गांव में अंधकार को मिटाकर उजाला लाने में जुटी हैं। इसी से प्रेरणा लेकर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने सीएसआर फंड की मदद से इस अनोखी पहल को साकार कर दिखाया है।
उन्होंने गांव में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों के लिए सस्ते सोलर लैंप बनाएं हैं, जो उनकी पढ़ाई में मददगार बन रहे हैं।इस लैंप की खास बात ये है कि इसे स्कूली बच्चों को खासतौर पर मुहैया कराया जा रहा है, वो भी 100 रुपए में, जबकि बाजार में इसकी कीमत 500 रुपए से शुरू होती है।लैंप की वारंटी भी दी जाती है। सस्ते दाम पर गुणवत्तापूर्ण लैंप पाकर बच्चों के चेहरे भी खिल उठे हैं। गृहिणियां भी इन लैंपों का उपयोग कर रही हैं।
500 रुपए की कीमत वाले लैंप मात्र 100 रुपए में : महिलाओं ने बताया कि बाजारों में 500 रुपए की कीमत के मिलने वाले लैंप को स्कूली बच्चों को मात्र 100 रुपए में उपलब्ध कराया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार इससे पहले 28 लाख सोलर लैंप उत्तर प्रदेश के 75 ब्लॉक और 30 जनपदों में स्कूली बच्चों को बांट चुकी है। इनको चार हजार महिलाओं ने तैयार किया था।
बच्चों के भविष्य के लिए 'उजाला' बने 'सोलर लैंप' : प्रेरणा ओजस कार्यक्रम के सीईओ शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि प्रेरणा ओजस कार्यक्रम के तहत प्रथम चरण में ब्लॉक डेरापुर के ग्राम परौंख में 18 समूहों के अंतर्गत चयनित कर 35 महिलाओं को सस्ती कीमत के सोलर लैंपों के निर्माण व विक्रय के लिए प्रशिक्षण देकर एक इकाई स्थापित की गई है।
उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं को प्रति लैंप निर्माण का 12 रुपए और प्रति लैंप बिक्री का 17 रुपए दिया जाता है। महिलाओं को 250-300 रुपए प्रतिदिन आमदनी हो जाती है। वहीं लैंप में खराबी आने पर रिपेयरिंग भी करती हैं। इस लैंप की वारंटी 28 फरवरी, 2022 तक है। अभी तक 1000 सोलर लैंपों को बनाकर ब्लॉक के परिषदीय स्कूलों के छात्रों को 100 रुपए प्रति लैंप के मूल्य में विक्रय किए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीण बच्चों को पठन-पाठन में सुविधा हो रही है।
वहीं अभी तक इन महिला समूह इकाइयों को सोलर लैंप विक्रय करने से एक लाख रुपए प्राप्त हो चुके हैं।उन्होंने बताया कि सोलर लैंपों का निर्माण कर रहीं समूह की महिलाओं को आगे चलकर योजना के तहत उद्यमी बनने का भी सुनहरा मौका मिलेगा। जब सोलर लैंप का वितरण लक्ष्य पूरा हो जाएगा तो यही महिलाएं आगे चलकर सौर उद्यमी बनेंगी।
इनको ब्लॉक के विभिन्न कस्बों एवं बाजारों में प्रेरणा सोलर स्मार्ट शॉप खुलवाने में आर्थिक सहायता दी जाएगी।उन्होंने बताया कि महिलाएं सोलर शॉप पर विभिन्न तरह के सोलर प्रोडक्ट लालटेन, टॉर्च, लैंप, सोलर पंखा, पैनल, एलईडी बल्ब की मरम्मत व बिक्री करेंगी।
ओजस कार्यक्रम के तहत तैयार कर रहीं हैं सोलर लैंप : कानपुर देहात जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस पहल से बच्चों को पढ़ाई में काफी मदद मिलेगी। जिले के लिए यह गर्व की बात है कि सोलर लैंप बना रहीं महिलाओं ने खुद को आत्मनिर्भर बनने का भी रास्ता बनाया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से स्कूली बच्चों को अब शिक्षा के साथ रोशनी का अधिकार भी मिल रहा है।उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (ग्राम विकास विभाग) के प्रेरणा ओजस कार्यक्रम के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सोलर लैंप बनाकर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं।
बाजार मूल्य से सस्ते हैं सोलर लैंप : जिला प्रशासन कानपुर देहात की मुख्य विकास अधिकारी आईएएस सौम्या पाण्डेय ने बताया कि जिले में 978 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर 10 हजार 758 ग्रामीण महिलाओं को समूहों से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि कानपुर देहात में ग्रामीण स्कूली बच्चों के उपयोग हेतु बाजार मूल्य से सस्ते सोलर लैंप का निर्माण महिलाएं कर रही हैं।