बेंगलुरु। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि जो लोगों को ऊंच-नीच में बांटता हो, वह धर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि बांटने वाला धर्म समाज के लिए बहुत खतरनाक होता है तथा ऐसे धर्म की समाज को जरूरत नहीं है।
बाबा साहेब भीमराव आम्बेडर की 126 वीं जयंती पर कर्नाटक समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा कि दुनिया में सभी धर्मों का उद्देश्य समानता है। धर्म लोगों को अहिंसा, ईमानदारी तथा शिष्टाचार बताता है, लेकिन व्यावहारिक जीवन में इसे लागू नहीं किया गया है।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि वर्तमान समय में धर्म की सही संस्कृति दिखाई नहीं दे रही है, क्योंकि पिछड़े वर्ग के लोगों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. आम्बेडर का बनाया भारतीय संविधान वास्तव में महान है और पूरी दुनिया में इसकी प्रशंसा होती है।
नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि सामाजिक न्याय लागू किया चाहिए, वरना समस्याएं एक-एक कर के शुरू हो होती रहेंगी। इस मौके पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि जाति व्यवस्था समाज में सामाजिक अन्याय तथा असमानता की मुख्य वजह थी। उन्होंने कहा कि इसे समाप्त किए बिना पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ सामाजिक न्याय नहीं होगा। (वार्ता)