भुवनेश्वर। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं ने बुधवार को यहां सीबीआई के राज्य मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। एजेंसी बंदोपाध्याय को मंगलवार देर रात भुवनेश्वर लेकर आई है।
तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता बंदोपाध्याय को रोज वैली ग्रुप के पोंजी घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने मंगलवार को कोलकाता से गिरफ्तार किया था। एजेंसी उन्हें मंगलवार को देर रात ही भुवनेश्वर लेकर आई है। इससे पहले सीबीआई ने तृणमूल के एक अन्य सांसद तापस पाल को समान आरोपों में गिरफ्तार किया था। वे 3 दिन तक सीबीआई हिरासत में रहे थे।
चौथी बार लोकसभा सदस्य चुने गए और पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार में राज्यमंत्री रहे बंदोपाध्याय को कथित रूप से विभिन्न प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं देने और असहयोगी रवैए के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
तृणमूल नेता की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन के लिए रामनगर से विधायक अखिल गिरि के नेतृत्व में एकत्र हुए पार्टी कार्यकर्ताओं ने यहां सीबीआई कार्यालय के बाहर धरना दिया। तृणमूल कांग्रेस की ओडिशा इकाई के कई सदस्यों और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष आर्य कुमार ज्ञानेन्द्र ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
ज्ञानेन्द्र ने कहा कि सीबीआई ने सुदीप बंदोपाध्याय और तापस पाल को राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार किया है। हम पक्के तौर पर कार्रवाई का विरोध करेंगे। तृणमूल कांग्रेस की प्रदेश इकाई 10 जनवरी को भुवनेश्वर में विशाल विरोध प्रदर्शन रैली की योजना बना रही है। प्रस्तावित प्रदर्शन रैली में तृणमूल कांग्रेस के कुछ लोकप्रिय नेताओं को भी आमंत्रित किया जा रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के 2 सदस्यीय शिष्टमंडल ने यहां सीबीआई अधिकारियों से भी भेंट की और बंदोपाध्याय तथा पाल की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध जताया। यहां सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि सीबीआई अदालत में पेश किए जाने से पहले बंदोपाध्याय को मेडिकल परीक्षण के लिए कैपिटल अस्पताल ले जाया जाएगा। जांच एजेंसी बंदोपाध्याय की हिरासत मांगेगी, क्योंकि वे कथित रूप से जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
हालांकि बंदोपाध्याय के वकील राजीव मजुमदार ने कहा कि वे अदालत में जमानत याचिका दायर करेंगे, क्योंकि उनके मुवक्किल अस्वस्थ हैं। मजुमदार ने यहां सीबीआई कार्यालय के बाहर कहा कि वे अस्वस्थ हैं। वे अदालत में जमानत का आवेदन देंगे। उन्होंने मामले में बंदोपाध्याय की संलिप्तता साबित करने की चुनौती सीबीआई को दी।
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई बंदोपाध्याय और पाल दोनों से पूछताछ करने की योजना बना रही है, क्योंकि दोनों की गिरफ्तारी 17,000 करोड़ रुपए के घोटाले में संलिप्तता के आरोप में हुई है। रोज वैली ग्रुप पर आरोप है कि उसने राज्य के निवेशकों से 17,000 करोड़ रुपए ठगे हैं। पाल ग्रुप के निदेशकों में से एक हैं जबकि बंदोपाध्याय पर पोंजी फर्म का प्रोमोटर होने का आरोप है। (भाषा)