Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 80 हजार से अधिक फर्जी शिक्षक निकालने के निर्देश

Advertiesment
हमें फॉलो करें Higher education institute
, शुक्रवार, 31 अगस्त 2018 (22:01 IST)
मथुरा। देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के मानक तय करने वाली सर्वोच्च संस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पाया है कि राज्य स्तरीय तथा निजी विश्वविद्यालयों में 80 हजार शिक्षक सिर्फ कागजों पर काम कर रहे हैं। ये फर्जी शिक्षक बनावटी आधार पर पूर्णकालिक शिक्षकों के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
 
 
वर्ष 2016-17 के सर्वे से प्राप्त हुए आंकड़ों के आधार पर राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों के उच्च शिक्षण संस्थानों में जगह पाए इन प्रतिनिधि शिक्षकों को निकाल बाहर करने के लिए राज्यों को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं। यह जानकारी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रो. धीरेंद्र पाल सिंह ने शुक्रवार को यहां दी। वे पं. दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विवि एवं गौ-अनुसंधान संस्थान के 8वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे।
 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यह सही है कि जिस प्रकार अब तक प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षण संस्थाओं में फर्जी शिक्षकों की भर्ती की शिकायतें मिलती रही हैं, उसी प्रकार उच्च शिक्षा में भी अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण 2016-17 में 80 हजार से अधिक प्रॉक्सी टीचर्स की जानकारी सामने आई है।
 
उन्होंने बताया कि इनसे मुक्ति के लिए राज्यों को एक विशेष निर्देश जारी कर उनके आधार कार्ड आदि ठोस पहचान पत्रों के आधार पर उनकी पहचान कर सिस्टम से निकाल बाहर करने को कहा गया है।
 
उनके इस जवाब की पुष्टि राज्यपाल राम नाईक ने भी मीडिया से वार्ता में करते उन्होंने माना कि ऐसा पाया गया है कि निचली कक्षाओं के समान ही अब उच्च शिक्षण संस्थानों में भी बड़ी संख्या में शिक्षक गलत तरीके अपनाकर जगह पा गए हैं लेकिन अब सरकार उन सबके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने जा रही है।
 
प्रो. सिंह ने उच्च शिक्षा का स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए आयोग द्वारा की गई की अन्य पहलों के बारे में भी बताते कहा कि अब भर्ती प्रक्रिया पूर्ण कर नए शिक्षण संस्थानों में शिक्षक बनने वाले अभ्यर्थियों को भी पहले 1 माह खुद विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करना जरूरी होगा जिससे वे खुद भी क्षेत्र एवं विषय-विशेष के बारे में पढ़ाने में पूर्ण सक्षम हो जाएं। अपडेट हो जाएं।
 
आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि जो विवि गत वर्षों में गुणवत्ता के मामले में अव्वल पाए गए हैं, उनका अपग्रेडेशन किया जाएगा तथा उन्हें स्वायत्तता देने में पहल की जाएगी जिससे वे एक स्वायत्तशासी संगठन के समान आगे बढ़ने के संबंध में निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
 
प्रो. सिंह ने बताया कि उच्च शिक्षा में एक बड़ा परिवर्तन यह किया गया है कि अब पीएचडी की डिग्री के लिए विषय का चयन करते समय उक्त क्षेत्र विशेष से जुड़े विषयों को प्राथमिकता दी जाएगी यानी जो विषय उस क्षेत्र, सामाजिक परिवेश के लिए प्रासंगिक होंगे, शोधकार्य उन्हीं विषयों पर आधारित होंगे। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गोली का जवाब गोली से देगी पुलिस-अनंत देव