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बीपीएल घरों में लग रहे खराब गुणवत्ता के मीटर

हमें फॉलो करें बीपीएल घरों में लग रहे खराब गुणवत्ता के मीटर

अरविंद शुक्ला

लखनऊ , शुक्रवार, 19 सितम्बर 2014 (00:13 IST)
लखनऊ। बिजली कम्पनियों द्वारा सस्ता मीटर खरीद कर उपभोक्ताओं को महंगी दरों पर बेचने का मामला अभी शान्त भी नहीं हुआ था कि मीटर के खेल का एक नया मामला सामने आया है।

 
एल एण्ड टी राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) के तहत प्रदेश के अनेकों जिलों में करोड़ों का ठेका अलग-अलग कम्पनियों को दिया गया है। भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार विद्युतीकृत गांवों में गरीब जनता को बीपीएल कनेक्शन फ्री में देना है, जिसके तहत भारत सरकार द्वारा रुपए 2200 प्रति कनेक्शन बीपीएल किट के नाम से राज्यों को दिया जाता है जिसमें मीटर केबल, एक बल्ब, स्विच इत्यादि शामिल होता है। उसी के क्रम में देश की एक नामी-गिरामी कम्पनी एल एण्ड टी (लार्सन एण्ड टुब्रो) ने बाराबंकी व लखीमपुर जिले का कार्य लिया है।

अब जब विद्युतीकरण के बाद उसके द्वारा बीपीएल कनेक्शन देने का नम्बर आया तो उसके द्वारा एक निम्न गुणवत्ता वाली कम्पनी मेसर्स एवन मीटर्स प्रालि के मीटर लगाए जा रहे हैं, जबकि एल एण्ड टी स्वयं बिजली कम्पनियों की नियमित मीटर सप्लायर है। इस पूरे मामले की प्रदेश के  मुखयमंत्री से उच्‍चस्तरीय जांच कराने की मांग की गई है। 
 
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विगत दिनों एल एण्ड टी कम्पनी को पूर्वांचल कम्पनी में मीटर का जो टेण्डर फाइनल किया गया, उसमें सिंगल फेस की दरें रुपए 890/- आई हैं और वर्तमान में एल एण्ड टी कम्पनी द्वारा बीपीएल उपभोक्ताओं के घरों में जो कनेक्शन दिए जा रहे हैं उनके परिसर में एवन कम्पनी का जो मीटर लगाया जा रहा है, उसकी दरें कुल मिलाकर रुपए 892/- बताई गई हैं।
 
सवाल यह उठता है कि कोई मीटर निर्माता कम्पनी, जो स्वयं कम दरों पर मीटर बिजली कम्पनियों में स्वयं मीटर सप्लाई कर रही है वह दूसरी मीटर निर्माता कम्पनी, से जो बिजली कम्पनियों की नियमित सप्लायर भी नहीं है उससे मीटर क्यों ले रही है? अपने आपमें सोचने का विषय है।
 
लोगों का यह भी कहना है कि बीपीएल कनेक्शन में जो मीटर लगाए जा रहे हैं उनकी कीमत रुपए 600-700 से ज्यादा नहीं है। इसमें भी एक खेल है, जिसमें बिजली कम्पनियों के उच्‍चाधिकारी भी शामिल हैं, जो पूरी तरह सिद्ध करता है कि कहीं न कहीं पूरे मामले में बड़ा गोलमाल है।
  
उससे बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि बिजली कम्पनियों द्वारा मेसर्स एल एण्ड टी कम्पनी को एवन मीटर लगाने की अनुमति क्यों दी गई, जबकि बिजली कम्पनियों को पता है कि यह कम्पनी कभी भी उत्तर प्रदेश में मीटर सप्लाई नहीं कर रही है, और यदि कभी किया भी होगा तो शायद उसकी संख्‍या बहुत नाममात्र रही होगी।
 
दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि एल एण्ड टी से यह क्यों नहीं पूछा गया कि आप द्वारा अपनी कम्पनी का मीटर क्यों नहीं लगाया जा रहा है? जबकि आप द्वारा बिजली कम्पनियों को लाखों मीटर लगातार सप्लाई किए जा रहे हैं। यह तो एक उदाहरण मात्र है, इसी तरह गरीब जनता के घरों में किस-किस कम्पनी के मीटर लगाए जा रहे होंगे, इसका तो भगवान ही मालिक है।
 
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि नामी-गिरामी कम्पनियां पहले अपने नाम को आगे करके बिजली विभाग में करोड़ों, अरबों का ठेका अपने कब्जे में करती हैं और बाद में टेण्डरों को सबलेट करके उसकी गुणवत्ता को निम्न स्तर पर लाकर ढकेल देती हैं, इसमें कहीं न कहीं बिजली कम्पनियों के उच्‍चाधिकारियों का भी हाथ है जिससे पावर सेक्टर में मीटर में गोलमाल का नया तरीका सभी के सामने आ रहा है और उसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है। 

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