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अखिलेश मंत्रिपरिषद का सोमवार को होगा विस्तार

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, रविवार, 25 सितम्बर 2016 (18:57 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव मंत्रिपरिषद के कल (सोमवार को) होने वाले विस्तार में हाल ही में बर्खास्त खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की वापसी पर संदेह के बादल घिर गए लगते हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने राज्यपाल राम नाईक को पत्र भेजकर उनकी वापसी के औचित्य पर सवाल उठा दिया है।
 
राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार सोमवार को अखिलेश मंत्रिपरिषद का 8वां विस्तार होना है। प्रदेश मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री को लेकर 60 मंत्री हो सकते है जिसमें 3 स्थान रिक्त हैं।
 
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते प्रदेश में सत्तारुढ़ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार में चले सत्ता टकराव के बीच खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और पंचायती राज मंत्री राजकिशोर को बर्खास्त कर दिया गया था, मगर बाद में परिवार के विवाद को शांत करने के लिए सत्तारूढ़ दल ने प्रजापति को पुन: मंत्री बनाए जाने की घोषणा की थी।
 
बहरहाल, सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने मंत्रिपरिषद में गायत्री की वापसी के खिलाफ राज्यपाल नाईक के समक्ष एक याचिका दायर की है। नूतन ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें रविवार शाम अपनी बात कहने के लिए राजभवन बुलाया है।
 
गायत्री प्रजापति के अलावा सोमवार को सपा विधायक जियाउद्दीन रिजवी को भी शपथ दिलाई जा सकती है, जो पिछले विस्तार में शपथ नहीं ले पाए थे मगर विवाद प्रजापति की शपथ को लेकर है। 
 
गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने प्रदेश में अवैध खनन को लेकर गायत्री प्रजापति के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और पूर्व में इस संबंध में वे लोकायुक्त अदालत से लेकर हर फोरम पर विरोध दर्ज करा चुकी हैं। मंत्रिपरिषद विस्तार से 2 दिन पहले ठाकुर ने राजभवन का दरवाजा खटखटाया और प्रजापति को पुन: मंत्रिपरिषद में शामिल करने पर विरोध जताया।
 
ठाकुर का तर्क है कि प्रजापति के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और उन्हें मंत्रिपरिषद से बर्खास्त ही तब किया गया था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई सीबीआई जांच अदालत के सामने दाखिल कर यह भी कहा कि जिस आधार पर किसी मंत्री को बर्खास्त किया गया हो उसके बने रहते उसे पुन: मंत्रिपरिषद में कैसे शामिल किया जा सकता है?
 
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में प्रजापति को तब बर्खास्त कर दिया था, जब उच्च न्यायालय में सीबीआई रिपोर्ट दाखिल होने के बाद अदालत के रुख से ऐसा लगा कि प्रजापति के खिलाफ शिकंजा कसने वाला है और सरकार की भी बदनामी हो सकती है। इसके बाद मुलायम सिंह यादव परिवार में वस्तुत: बड़े विवाद जैसे हालात पैदा हो गए थे। (भाषा) 

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