लखनऊ। उत्तरप्रदेश के नगर निकाय चुनाव में भाजपा में शीर्ष पदों पर रहे और अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के परिजनों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कोविंद के भाई के बेटे यानी उनके भतीजे की पत्नी ने भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का मन बना लिया है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के झींझक से नगर पालिका के चुनाव में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के परिवार से तीन लोगों ने भाजपा से टिकट मांगी थी, लेकिन भाजपा ने तीनों को दरकिनार करते हुए तीसरे प्रत्याशी को नगर पालिका के चुनावी मैदान में उतार दिया है। ऐसे में जहां राष्ट्रपति के परिवार के 2 लोगों ने पार्टी के फैसले को सिर-आंखों पर रखते हुए चुनाव न लड़ने की बात कही है, वहीं राष्ट्रपति के भतीजे ने अपनी पत्नी को भाजपा के ही खिलाफ खड़ा करने की बात कही है।
उनका कहना है कि उन्हें कोई पार्टी टिकट दे या ना दे लेकिन वह जनता की बात को मानते हुए चुनावी मैदान में उतरेंगे। बताते चलें कि झींझक नगर पालिका से भारत के राष्ट्रपति के परिवार की ओर से भाजपा से टिकट के लिए राष्ट्रपति की भाभी विद्यावती, भतीजे की पत्नी दीपा व एक रिश्तेदार दीपमाला वर्मा ने टिकट के लिए आवेदन किया था, लेकिन भाजपा ने इन तीनों को टिकट न देते हुए किसी अन्य को प्रत्याशी बनाया है।
भाजपा के इस फैसले को राष्ट्रपति की भाभी विद्यावती व रिश्तेदार दीपमाला ने तो स्वीकार कर चुनावी मैदान छोड़ने की घोषणा कर दी है, लेकिन भाई प्यारेलाल की बहू दीपा पत्नी पंकज कोविंद ने चुनावी मैदान से ना हटने की बात कही है। उनका कहना है कि जनता का आदेश है कि मैं चुनाव लड़ूं। मुझे कोई टिकट दे या ना दे मैं निर्दलीय रूप से 9 नवंबर को नामांकन भरकर चुनाव मैदान में रहूंगी।