देहरादून। भाजपा ने उत्तराखंड में बागियों के सहारे अपनी राजनीतिक बिसात बिछाई थी, लेकिन उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के निर्णय ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
शक्ति परीक्षण में बागियों को मतविभाजन में शामिल होने की इजाजत नहीं दी गई और नतीजतन राज्य में हरीश रावत सरकार सत्ता पर फिर काबिज होने में सफल हो गई। सूत्रों के अनुसार अब कांग्रेस के बागी विधायकों के लिए विषम हालात पैदा हो गए और अब वह न कांग्रेस में वापस जा सकते हैं और न ही कांग्रेस उन्हें वापस लेने को तैयार दिखाई देती है।
ऐसे में भाजपा की ओर टकटकी लगाए देख रहे बागियों की उम्मीद फिर से परवान चढ़ सकती है और वह भाजपा के सदस्य बनकर उसे मजबूती प्रदान करते हुए दिखाई दे सकते हैं। भाजपा के लिए भी अजब हालात पैदा हो चुके हैं। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के भविष्य को लेकर उसे भी चिंता सताने लगी हैं। अगर वह इनसे किनारा कर लेती है तो उसकी नीयत पर सवाल उठने लगेंगे और अगर वह इन्हें स्वीकार करती है तो पार्टी में अंदरखाने ही इसे लेकर हलचल देखने को मिल सकती है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के इरादे बता रहे हैं कि वह हर हाल में बागियों का साथ देगी। फिर चाहे उसे इन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना पड़े या फिर दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि भाजपा बागियों के विधानसभा क्षेत्र में अपना उम्मीदवार न उतारे और बागियों को वॉक ओवर दे।
बागियों ने अपने सियासी भविष्य की चिंता न करते हुए भाजपा के लिए ही अपनी सदस्यता कुर्बान की है। भले ही इस मुहिम को भाजपा आला नेतृत्व ने कांग्रेस में विद्रोह का नाम दिया हो परन्तु हकीकत यह है कि यह सब विद्रोहियों को मोहरा बना कर भाजपा ने कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए किया।(वार्ता)