-राजेश पाटिल
बेंगलुरु। युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव से भारत पहुंची वैष्णवी रेड्डी ने कहा कि जब हम एक रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो अचानक पास में ही 2 धमाके हुए। हमारे चेहरे पर खौफ साफ पढ़ा जा सकता था। एक पल को लगा कि अब शायद ही भारत लौट पाएं।
वैष्णवी कर्नाटक के वीदर जिले के बसवा कल्याण की रहने वाली हैं और तीन महीने पहले ही एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन के खारकीव गई थी। उसने कहा कि युद्ध खत्म होने एवं वहां की सिचुएशन ठीक होने के बाद मैं वहां पढ़ने के लिए फिर से जाना चाहूंगी। लड़की के पिता ने भी कहा कि हमें वैष्णवी पर पूरा भरोसा है। वह जो भी निर्णय लेगी हम उसका समर्थन करेंगे।
वीदर की वैष्णवी ने वेबदुनिया से बातचीत करते हुए कहा कि खारकीव से बॉर्डर तक पहुंचने के लिए हमें 9 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। यूक्रेन में भारतीय छात्रों से बदसलूकी के मुद्दे पर रेड्डी ने कहा कि हमें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हुई। यूक्रेन सरकार ने हमें रोकने की कोशिश नहीं की।
केन्द्र की मोदी सरकार और कर्नाटक सरकार की सराहना करते हुए कहा कि हमें खारकीव से बॉर्डर पहुंचने के बाद हमें किसी भी तरह की खाने-पीने की समस्या नहीं हुई। हमारा विशेष ध्यान रखा गया। सभी छात्रों को सरकार की ओर से बहुत मदद मिली।