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नोटबंदी से घटी वैष्णोदेवी में श्रद्धालुओं की संख्या

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सुरेश डुग्गर

श्रीनगर। नोटबंदी के बाद यह उम्मीद की गई थी कि कश्मीर में आतंकवादियों की कमर टूटेगी और पत्थरबाजों पर नकेल कसेगी। पर ऐसा हुआ नहीं। जो हुआ वह बहुत दर्दभरा है। राज्य की अर्थव्यवस्था कश्मीर के टूरिज्म और वैष्णोदेवी की यात्रा पर आने वालों पर टिकी थी। नोटबंदी का नतीजा यह हुआ कि कश्मीर की ओर रुख करने वाले टूरिस्टों ने मुख मोढ़ लिया और वैष्णोदेवी आने वालों की संख्या में 40 फीसदी की कमी आ गई। यही नहीं, वैष्णोदेवी में चढ़ावे में 50 प्रतिशत की कमी आ गई और कटड़ा व जम्मू में खरीददारी न के बराबर ही पहुंच चुकी है।
वैसे यह सच है कि नोटबंदी के बाद देश के विभिन्न मंदिरों के श्राइन बोर्ड में अचानक चढ़ावे में आए भारी उछाल के बीच माता वैष्णोदेवी के दरबार में इसके उलट प्रतिदिन चढ़ावे में 50 फीसद तक कमी दर्ज की गई है। इसका बड़ा कारण बोर्ड द्वारा चढ़ावे के रूप में 500-1000 रुपए के पुराने नोट लेना बंद करना और पिछले एक सप्ताह में यात्रा में करीब 40 फीसद गिरावट भी है।
 
नवंबर माह में रोजाना औसतन यात्रा 25-26 हजार के करीब रहती थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से 10 से 15 हजार श्रद्धालु ही रोज कटड़ा पहुंच रहे हैं। यात्रा जब 20-25 हजार के बीच रहती है तो मां के दरबार में प्रतिदिन औसतन 40 लाख रुपए नकद चढ़ावा आता है, लेकिन नोटबंदी के बाद से रोजाना यह चढ़ावा 20 लाख यानी आधा तक सिमट गया है।
 
श्राइन बोर्ड ने अपने तमाम काउंटरों पर 500-1000 रुपए के पुराने नोट के रूप में चढ़ावा लेना बंद कर दिया है। चढ़ावे के लिए बोर्ड की ओर से कटड़ा से लेकर भवन तक कई काउंटर भी स्थापित किए गए हैं, जिन पर बाकायदा रसीद देकर चढ़ावा लिया जाता है। इन सभी काउंटर पर अब ये नोट स्वीकार नहीं किए जा रहे। ऐसे में यह 20-22 लाख वहीं हैं जो लोग दानपात्रों में डाल रहे हैं, हालांकि इनमें अधिकतर नोट 500-1000 ही हैं।
 
श्राइन बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर (सीईओ) अजीत कुमार साहू ने भी चढ़ावे में कमी स्वीकार करते हुए कहा है कि नोटबंदी के बाद यात्रा में अचानक गिरावट आई है, जो एक कारण हो सकता है। चढ़ावे के रूप में जो 500-1000 रुपए के नोट दानपात्र में आ रहे हैं, उन्हें नियमानुसार बोर्ड के बैंक खाते में जमा करवाया जा रहा है।
 
बोर्ड के सीईओ अजीत कुमार साहू के मुताबिक श्रद्धालुओं को हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध करवा रहे ऑपरेटरों को भी स्वाइप मशीनें इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं। श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई असुविधा न हो, इसके लिए मौके पर नोट बदलने की भी व्यवस्था की जा रही है।
 
बोर्ड के सीईओ अजीत कुमार साहू के अनुसार, नोटबंदी के कारण श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो, इसके लिए यात्रा मार्ग पर 70 अतिरिक्त स्वाइप मशीनें लगाई गई हैं। बोर्ड के सभी भोजनालय, प्रसाद की दुकानों व काफी काउंटर तक स्वाइप मशीन से भुगतान की व्यवस्था की गई है। नोट बदलने के लिए बोर्ड ने बैंक के सहयोग से निहारिका भवन व दरबार में काउंटर स्थापित किए हैं। बैंक के पास पर्याप्त नोट न होने पर बोर्ड अपने चढ़ावे से 100-100 के नोट बैंकों को जारी कर रहा है। गत दिनों दरबार में श्रद्धालुओं में सिक्के तक बांटे गए।


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